यह मेरा नहीं मेरी रचनाधर्मिता का सम्मान है- डॉ पगारे।
इन्दौर। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे को के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रतिष्ठित तीसवाँ व्यास सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके उपन्यास ‘पाटलिपुत्र की साम्राज्ञी’ के लिए दिया गया।
इंदौर प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागार में आयोजित सम्मान समारोह की मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेणु जैन थी। विशेष अतिथि के. के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ सुरेश ऋतुपर्ण व पदमश्री सुशील दोषी रहे। स्वागत उदबोधन प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने दिया।
डॉ पगारे के व्यक्तित्व पर प्रकाश वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी ने डाला। अतिथियों का स्वागत प्रेस क्लब उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी और प्रो सुशीम पगारे ने किया। संचालन श्रुति अग्रवाल ने किया।
आयोजन की मुख्य अतिथि प्रो. रेणु जैन ने कहा कि ‘डॉ.पगारे का सम्मान, पूरे इन्दौर का सम्मान है। और हमारे लिए यह क्षण गौरव के है।’
के. के. बिड़ला फाउंडेशन नई दिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण ने कहा कि ‘डॉ शरद पगारे शब्द से मूर्ति बनाते हैं। वह अमूर्त को मूर्त कर देते हैं। रचनाकार वही सफ़ल है, जो पाठक को अपने साथ लंबी यात्रा पर लें जाता है।’ उन्होंने बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रतिष्ठित व्यास सम्मान के लिए चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।
यह मेरी रचनाधर्मिता का सम्मान – डॉ. पगारे ।
व्यास सम्मान ग्रहण करने के बाद वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शरद पगारे भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि ‘मेरे शब्द आज खो रहे हैं। यह मेरा नहीं मेरी रचनाधर्मिता का सम्मान है।’ उन्होंने रचनाकारों से आह्वान किया कि ‘जिस तरह एक कलाकार रोज़ रियाज़ करता है उसी तरह रचनाकार भी रोज़ लिखें व ज्यादा से ज्यादा पढ़ें भी।
डॉ पगारे बोले ‘मैंने इतिहास से ऐसे पात्र उठाएं जिनका इतिहास में ज़िक्र न के बराबर मिलता है।’
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, गणमान्य नागरिक और डॉ. पगारे के स्नेहीजन उपस्थित थे। अंत में आभार अर्पण जैन ने माना।