तीन दिवसीय सोया महाकुंभ का केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री ने किया शुभारंभ

  
Last Updated:  May 30, 2022 " 12:33 am"

इंदौर : आईसीएआर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, सोयाबीन अनुसंधान एवं विकास सोसायटी, सोलिडारिडाड, भोपाल और सोपा इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में 29 से 31 मई 2022 तक आयोजित किए जा रहे “सोया महाकुम्भ” का शुभारंभ देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के ऑडिटोरियम में शनिवार को हुआ। पहले दिन इस महाकुंभ में सोयाबीन उत्पादक, वैज्ञानिक और विकास विभागों के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 2500 लोगों ने भाग लिया। सोया महाकुंभ के उदघाटन समारोह में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल, डॉ त्रिलोचन महापात्रा, सचिव डेयर और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, सांसद शंकर लालवानी, भाकृअनुप-आईआईएसआर की निदेशक डॉ. नीता खांडेकर और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भाग लिया।
प्रारंभ में, भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान की कार्यकारी निदेशक डॉ. नीता खांडेकर ने अतिथियों का स्वागत किया और विभिन्न विधाओं का उपयोग करते हुए अनुसंधान जनित तकनीक एवं नवीनतम पद्धतियों को किसानों तक ले जाने के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

सोयाबीन की उत्पादकता बढ़ाना जरूरी।

इस अवसर पर डॉ. महापात्रा ने कहा कि सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता पिछले कुछ दशकों से लगभग 1 टन प्रति हेक्टेयर है, जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए विस्तार कर्मियों, किसानों, इनपुट डीलरों और सहायक सेवाओं में शामिल अन्य लोगों के समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की नई किस्मों के गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन में वृद्धि से ही सोयाबीन की उत्पादकता 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि 14,326 क्विंटल के ब्रीडर बीज उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है, जिससे आधार एवं प्रमाणित बीज उत्पादन कार्यक्रम में तेजी आएगी। उन्होंने कहाँ कि सोयाबीन बीज स्थानापन्न दर के साथ साथ किस्मों की विविधता भी आवश्यक हैं। डॉ महापात्रा ने उम्मीद जताई कि मध्य भारत के किसानों ने लगभग 2-3 टन / हेक्टेयर की उपज सीमा हासिल कर ली है जैसा कि फ्रंटलाइन प्रदर्शनों में परिलक्षित होता है।

छोटे व सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध।

सांसद शंकर लालवानी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार ने उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि नहीं होने दी। विशेष रूप से यूरिया, जो पौधों की वृद्धि के लिए एक प्रमुख तत्व है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़, छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

एमएसपी पर खरीद की अधिकतम सीमा हटाई।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश के किसानों के लिए राज्य सरकार ने किसान केंद्रित नीतियां बनाई हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी के माध्यम से खरीद की अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है जिससे राज्य के किसानों को लाभ हुआ है। उन्होंने फसल बीमा योजना पर प्रकाश डाला, जिससे पिछले दो वर्षों के दौरान मध्य प्रदेश के किसानों को 17,000 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। उनके अनुसार, राज्य सरकार ने तीसरे सीजन की फसल यानी ग्रीष्म मूंग को बढ़ावा देने की योजना बनाई है, जिससे राज्य के किसानों की आय में भी इजाफा होगा।

कृषि बजट में की रिकॉर्ड बढ़ोतरी।

समारोह के मुख्य अतिथि, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री, भारत सरकार कैलाश चौधरी ने देश की अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से महामारी की स्थिति में किसानों की कड़ी मेहनत और योगदान की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कृषि के बजटीय आवंटन को बढ़ाकर 1,32,000 करोड़ कर दिया है जो 2014 के बाद से रिकॉर्ड वृद्धि है। इसमें से 65,000 करोड़ रुपये किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ के रूप में दिए जाते हैं, जिससे करोड़ों किसानों को लाभ होता है। उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके अनुसार, छोटे और सीमांत किसानों को एक साथ आना चाहिए और अपनी उपज के उत्पादन, विपणन और प्रसंस्करण के लिए किसान उत्पादक संगठन (FPO) के साथ में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड के लिए लगभग 1 लाख करोड़ आवंटित किए हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ मूल्यवर्धन के लिए प्रसंस्करण और भंडारण सुविधा को विकसित करेंगे। श्री चौधरी ने देश की विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त 164 सोयाबीन किस्मों के विकास में कृषि वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक दिन ऐसा आएगा जब भारत की जीडीपी में कृषि का योगदान बढ़ेगा।
केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री ने बाद में डीएविवि कैंपस में लगाई गई सोया आधारित उत्पाद, अनुसंधान और अन्य स्टॉल का अवलोकन किया और उनके बारे में जानकारी ली। सोया महाकुंभ 31 मई तक चलेगा।

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