डॉक्टरों ने अथक प्रयास कर बचाई मरीज की जान।
तीन तीर गहराई तक धंसे थे मरीज के शरीर में।
पांच घंटे तक चला मरीज का ऑपरेशन।
बड़वानी जिले के सुदूर आदिवासी अंचल का रहनेवाला है मरीज और उसका परिवार।
इंदौर : एम वाय अस्पताल के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने शरीर में तीर लगने से गंभीर रूप से घायल मरीज का जटिल ऑपरेशन कर उसकी जान बचा ली। अब उसके स्वास्थ्य में सुधार है।
तीन तीर धंसे थे घायल के शरीर में।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के एचओडी और सर्जन प्रो. डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि इस्माइल (उम्र 60 वर्ष) नामक यह मरीज बड़वानी जिले की तहसील पाटी के आदिवासी बहुल ग्राम उवडगढ़ का रहने वाला है। आपसी विवाद के चलते उसे जहर बुझे तीर मारकर घायल कर दिया गया था। तीन तीर उसके पेट, हाथ और जांघ में गहराई तक धंस गए थे। बड़वानी से उसे एमवाय अस्पताल, इंदौर रेफर किया गया। दीपावली पर एमवायएच लाए गए इस मरीज की हालत बेहद नाजुक थी। ऐसे में दीपावली की अगली रात ही उसके ऑपरेशन का निर्णय कर उसे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया। ब्लड का इंतजाम करने के साथ ही डॉ. नवीन गुप्ता, डॉ.फरीद खान और डॉ. सहज धाकड़ ने करीब पांच घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद मरीज की जान बचाने में सफलता हासिल की।इस दौरान धंसे तीर निकालकर क्षतिग्रस्त अंगों को रिपेयर किया गया। ऑपरेशन में एनास्थेसिस्ट डॉ. केके अरोरा और डॉ. रितु पुराणिक का भी अहम योगदान रहा।
मरीज अब पूरीतरह स्वस्थ्य।
डॉ. घनघोरिया ने बताया कि उनके मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक किए गए इस जटिल ऑपरेशन के बाद अब मरीज स्वस्थ्य है और जल्द ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मरीज और उसका परिवार सुदूर आदिवासी अंचल का होने से उन्हें हिंदी भी ठीक तरह से समझ में नहीं आती है।
ऑपरेशन पर मरीज के परिजनों का नहीं हुआ एक रुपया भी खर्च।
डॉ. अरविंद घनघोरिया के अनुसार तीर लगने से गंभीर रूप से घायल मरीज इस्माइल के इस जटिल ऑपरेशन और इलाज में मरीज के परिजनों का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। यही ऑपरेशन किसी निजी अस्पताल में किया गया होता तो लाखों रुपए का खर्च आता। इससे यह स्पष्ट है कि गरीब मरीजों के लिए यह अस्पताल किसी वरदान से कम नहीं है।