दलबदल के लिए सत्तारूढ़ दल जिम्मेदार

  
Last Updated:  June 22, 2024 " 03:00 am"

राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया जाता है दलबदल ।

मीडिया पर भी दल बदलने के लिए बनाया जाता है दबाव।

पत्रकारों पर होता है मीडिया संस्थान का दबाव।

‘दल बदल और विपक्ष का बल’ विषय पर वक्ताओं ने बेबाकी के साथ रखी अपनी बात।

इंंदौर स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. द्वारा आयोजित भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के पहले दिन का तीसरा सत्र भी बड़ा रोचक रहा। विषय था ‘दल बदल और विपक्ष का बल’। अतिथि वक्ताओं ने इस विषय पर बेबाकी के साथ अपने विचार रखें। दलबदल को लेकर वैचारिक भिन्नता भी सामने आई। एक वक्ता ने दल बदल को व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा से जोड़कर देखा तो दूसरे ने दबाव, प्रभाव और प्रलोभन के जरिए अपने राजनीतिक हित साधने का जरिया निरूपित किया। उन्होंने सत्तारूढ़ दल द्वारा मीडिया पर भी दबाव, प्रभाव बनाकर उसे सच लिखने से रोकने का भी आरोप लगाया।

पत्रकार मुकेश मीणा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि सत्ता के मोह में राजनीतिक पार्टियों के नेता दल बदल करते हैं। आयाराम गयाराम अब अधिक हो रहा है। ये स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। दल बदल को रोकने के लिए बने कानून का तोड़ राजनीतिक दलों ने ढूंढ लिया है। अब पूरी पार्टी का हो दलबदल किया जा रहा है।

दलबलदल के पीछे राजनीतिक महत्वाकांक्षा प्रमुख कारण।

प्रो. डॉ. संजय दिवेदी ने कहा कि दलबदल एक मनोवैज्ञानिक समस्या है।राजनीतिक और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं दलबदल का कारण बनती हैं।उन्होंने कहा कि दल बदल बुरी बात भी नही है। अगर विचार न मिले तो बदल लो। कांग्रेस सबसे अधिक बार टूटी है। देश में आधी से राजनीतिक पार्टिया का जन्म कांग्रेस की टूट की वजह से हुआ है। जब आदमी धर्म बदलने के लिए आजाद है तो दल बदल के लिए भी आजाद है।

प्रो. दिवेदी ने आगे कहा कि जब तक राजनीति का शुद्धिकरण नहीं होगा तब तक इस समस्या का समाधान नही होगा।

टी. वी. पत्रकार और एंकर दीपाली शुक्ला ने कहा अधिकांश नेता सत्ता के लोभ के लिए दल बदल करते हैं। उन्होंने कई नेताओं के दलबदल के उदाहरण देते हुए इस बात को रेखांकित किया। दीपाली ने बेबाकी के साथ कहा कि सत्तारूढ़ दल विपक्ष को कमजोर करने के हर हथकंडे अपनाता है। पत्रकार तो सही तस्वीर सामने रखना चाहते हैं पर आर्थिक कारणों के चलते चैनल प्रबंधन का दबाव इतना ज्यादा होता है कि वे चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाते। प्रबंधन की बात नहीं मानी जाए तो नौकरी खोने का डर रहता है। जनता अगर जागरूक रहेगी तो दल बदल कम होगा।

लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और लाखों सब्सक्राइबर रखने वाले यू ट्यूबर संजय शर्मा ने कहा कि दल बदल केवल नेता ही नही करते हैं मीडियाकर्मी भी करते है। धन और एडवरटाइजमेंट के लालच में मीडिया भी दलबदल कर रहा है, जो ऐसा नहीं करते, उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर तरह – तरह से प्रताड़ित किया जाता है।

अपनी आपबीती सुनाते हुए यू ट्यूबर संजय शर्मा ने कहा कि वे सत्तारूढ़ दल के दबाव, प्रभाव और प्रलोभन में नहीं आए इसलिए उन्हें सरसरी एजेंसियों के माध्यम से तरह – तरह से प्रताड़ित किया गया। उन्होंने दावा किया कि दलब्दल को सबसे ज्यादा बढ़ावा सत्तरूढ दल बीजेपी ने दिया है। अब तो पूरी पार्टी का ही दलबदल होने लगा है, ये बेहद चिंता का विषय है।उन्होंने जाति को सामाजिक व्यवस्था का अंग बताते हुए जातिगत जनगणना की मांग को सही ठहराया।

अतिथि वक्ताओं ने श्रोताओं के सवालों के भी जवाब दिए।

कार्यक्रम में अतिथि स्वागत अजय भट्ट, बंशी लाल लालवानी, नवनीत शुक्ला ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिन्ह मीना राणा शाह, ताहिर कमाल सिद्दीकी, दीपक माहेश्वरी ने प्रदान किये। संचालन आलोक वाजपेयी ने किया। आभार संजीव श्रीवास्तव ने माना।

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