इंदौर : दस दिनों तक भावभक्ति के साथ विघ्नहर्ता की आराधना करने के बाद ‘गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या।’ की जय जयकार के बीच ढोल ढोल ढमाकों के साथ बप्पा को भावभीनी विदाई दी गई।
घरों, दफ्तरों, सार्वजनिक पांडालों में विराजित की गई भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं का शुक्रवार को अंतिम दिन विधि विधान से पूजन किया गया। बाद में उन्हें निर्धारित स्थानों पर ले जाकर विसर्जित किया गया। मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बिठाने वाले ज्यादातर लोगों ने घरों में ही प्रतिमा का विसर्जन कर उस मिट्टी को गमलों और क्यारियों में डाल दिया ताकि वह पौधों के लिए खाद का काम कर सकें।
नगर निगम ने किए थे पुख्ता इंतजाम।
बीते कुछ वर्षों से नगर निगम, गणेश प्रतिमाएं एकत्रित करने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर पांडाल लगाता रहा है। इस बार भी करीब 100 स्थानों पर गणेश प्रतिमाएं एकत्रित की गई। गणपति की छोटी माटी की प्रतिमाओं को वहीं बनाए गए पानी के कृत्रिम कुंड में विसर्जित किया गया जबकि बड़ी और पीओपी से निर्मित प्रतिमाओं को जवाहर टेकरी पर ले जाकर विधिविधान से विसर्जित किया गया।