इंदौर : तर्पण की प्रक्रिया मजबूरी से नहीं, मन की मजबूती से करना चाहिए। शास्त्रों में तर्पण के अनेक प्रावधान हैं लेकिन सच्चा तर्पण तो यही होगा कि हम अपने आंसू की दो बूंदे भी दिवंगतों को समर्पित कर दें तो यह उनके अभिषेक और श्राद्ध से कम नहीं होगा। गौशाला परिसर जैसी पावन और पवित्र जगह पर किया गया तर्पण कई गुना अधिक पुण्य देने वाला होता है।
केशरबाग रोड़ स्थित प्राचीन अहिल्या माता गौशाला पर चल रहे श्रद्धा पर्व में पंचमी तिथि पर तर्पण के दौरान पं. मनोज पांडे ने ये विचार व्यक्त किए। लगभग 45 साधकों ने तर्पण और श्राद्ध में भाग लिया। आज कुंवार पंचमी है। इसमें 14 वर्ष से कम आयु के किशोर बालकों की अकाल मृत्यु का श्राद्ध हुआ। गौशाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष रवि सेठी, सचिव पुष्पेंद्र धनोतिया एवं संयोजक सी.के. अग्रवाल ने बताया कि गौशाला पर प्रतिदिन आने वाले साधकों की सुविधा के लिए हरा चारा, दलिया, गौग्रास लड्डू, कच्ची भोजन सामग्री, गौदान, अन्नदान आदि सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। गौशाला स्थित सप्त गौमाता मंदिर पर आज भी लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग एवं फेस मास्क का पालन करते हुए सपरिवार पहुंचकर गायों को उनके प्रिय व्यंजनों का भोग लगाया।
गौशाला पर प्रतिदिन अहिल्या बाई होलकर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और देश के लिए शहीद होने वाले सपूतों के अलावा कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए स्वयं के प्राण न्यौछावर करने वाले डाक्टर्स, नर्सों, पेरामेडिकल स्टाफ, पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए भी तर्पण किया जा रहा है। गौशाला पर शास्त्रोक्त विधि से प्रतिदिन सुबह 8 से दोपहर 1 बजे तक पितरों के तर्पण की नि: शुल्क व्यवस्था रखी गई है। तर्पण की समस्त सामग्री गौशाला पर नि: शुल्क उपलब्घ है।
दिवंगतों के लिए आंसुओं की दो बूंद श्राद्ध से कम नहीं- पं.पांडे
Last Updated: September 8, 2020 " 10:09 am"
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