विद्यमान चुनौतियों का मुकाबला करके ही हम स्वर्णिम भारत की नीव रख सकते हैं।
भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में ‘भारत का भविष्य और मीडिया ‘ विषय पर बोले वक्ता।
इंदौर : भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के तहत पहले दिन अलग – अलग विषयों पर तीन सत्र संपन्न हुए। पहला सत्र ‘भारत का भविष्य और मीडिया’ विषय पर केंद्रित था। इस विषय पर डॉ. मानसिंह परमार, प्रो. जयति मिश्रा, और निलेश खरे ने अपने विचार रखे।
रायपुर में कुशाभाऊ ठाकरे विवि के कुलपति रहे प्रो. मानसिंह परमार ने संदर्भित विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत और मीडिया का भविष्य उज्ज्वल है, इसमें कोई दो राय नहीं है। हालांकि चुनौतियां बहुत हैं। भारत में मीडिया को पूरी आजादी है, जो लोग कहते हैं कि मीडिया की आजादी में हम पाकिस्तान से भी पीछे है, ये बात गले नहीं उतरती। शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाना, अवसर की समानता, गरीबी, बेरोजगारी, जनसंख्या नियंत्रण, भ्रष्टाचार ये ऐसी चुनौतियां हैं, जिनसे एकजुट होकर मुकाबला करके हम भारत को स्वर्णिम भविष्य की राह पर ले जा सकते हैं।
भावी पीढ़ी के लिए बेहतर जमीन तैयार करने की जिम्मेदारी हमारी है।
एमिटी यूनिवर्सिटी, जयपुर की प्रोफेसर जयति शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि देश और मीडिया का भविष्य एक – दूसरे से जुड़ा है। भविष्य की सीढ़ी वर्तमान में किए कर्मों से तय होती है।भावी पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए जमीन तैयार करना हमारी जिम्मेदारी है। प्रो. जयति ने कहा कि तकनीक के जमाने में स्क्रिप्ट पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर बात के लाइव प्रसारण के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि हम चैट जीपीटी का कितना भी इस्तेमाल कर लें लेकिन विचारों के प्रवाह का स्थान तकनीक नहीं ले सकती। तकनीक का उपयोग कंटेंट को बेहतर बनाने में करें। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि किसी से प्रभावित होकर नहीं बल्कि खुद का प्रभाव पैदा करने के लिए पत्रकारिता करें।
मीडिया का व्यवसायीकरण दिशा भटकने की वजह।
महाराष्ट्र के समाचार पत्र समूह दैनिक सकाल के वरिष्ठ पत्रकार निलेश खरे ने कहा कि मीडिया के बढ़ते व्यावसायीकरण ने समस्याएं पैदा की हैं। कंटेंट का स्थान विज्ञापनों ने ले लिया है। भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए जरूरी है कि मीडिया पर दबाव न हो और वह स्वतंत्रता से काम कर सकें।
सत्र का सुचारू संचालन आलोक वाजपेई ने किया।