9 खंडो में पांच हजार मातृशक्तियां जुटी दशहरा मैदान पर।
3 किलोमीटर की शस्त्र आराधना यात्रा में कई मंचों से हुआ यात्रा का स्वागत।
झाबुआ की आदिवासी मंडली ने जमाया रंग।
बालिकाओं ने किया शस्त्र कला का प्रदर्शन।
वंदनवार व भगवा ध्वज से पटा यात्रा मार्ग।
इंदौर : तलवार, लट्ठ, त्रिशूल, गदा, भाला व फरसा, बनेठी, लठ अपने हाथों में लिए जब मातृशक्तियां सडक़ों पर उतरी तो हर कोई इस नजारें को देखता रह गया। वीरांगनाओं की वेशभूषा व पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी मातृशक्तियों ने अपने हाथों में शस्त्र थामकर कलाबाजियां दिखाते हुए इस बात का अहसास कराया की वे वक्त आने पर देश, धर्म और समाज की रक्षा के लिए रणचंडी का अवतार भी धारण कर सकती हैं। मातृशक्तियों के मान, सम्मान, स्वाभिमान व नारी सशक्तिकरण के उद्देश्य से निकाली गई इस शस्त्र आराधना यात्रा में पांच हजार से अधिक महिलाएं, युवतियां व बालिकाएं दशहरा मैदान पर जुटी। 9 खंडो में बनाए गए ग्रुपों में महिलाओं ने अनुशासन का परिचय देने के साथ ही सनातन संस्कृति एवं लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर,झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, जीजामाता, सहित भारत की वीरांगनाओं के इतिहास से भी सभी को रूबरू कराया। शस्त्र आराधना यात्रा का मार्ग में लगे कई मंचों से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।व्यायामशालाओं से जुड़ी बालिकाओं ने मंचों के सामने पारंपरिक शस्त्र कलाओं का जोरदार प्रदर्शन करते हुए अपनी निपुणता का नजारा पेश किया।
मातृशक्ति की इस शस्त्र आराधना यात्रा में सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक क्षेत्रों से जुड़े कई गणमान्य नागरिक भी शामिल हुए।
हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान इन्दौर के चेयरमेन विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा, सचिव विनोद बिड़ला एवं प्रचार प्रमुख जवाहर मंगवानी ने बताया कि दशहरा मैदान से लालबाग तक निकाली गई शस्त्र आराधना यात्रा की कमान नारी शक्ति को ही सौंपी गई थी। यात्रा के मार्ग से लेकर सभी व्यवस्था मातृशक्तियों के हाथों में थी। शस्त्र आराधना यात्रा संयोजक सरस्वती पेंढ़ारकर ने बताया कि यात्रा की शुरूआत शस्त्र व ध्वज पूजन के साथ की गई। इसके पश्चात 9 खंडों में अलग-अलग ग्रुपों व क्षेत्रों से आई पांच हजार मातृशक्तियां, युवतियां व बालिकाओं को शस्त्रों का वितरण किया गया। नारी शक्ति की इस शौर्य यात्रा में 10 वर्ष की बालिका से लेकर 50 वर्ष की मातृशक्तियों ने अपनी भागीदारी दर्ज की। दशहरा मैदान पर जुटी हजारों महिलाओं ने शास्त्र पूजन करने के साथ ही शस्त्र कला प्रदर्शन के पूर्व भारत की वीरांगनाओं का उद्घोष किया एवं इसके बाद अपनी कला का प्रदर्शन किया।
9 खंड बनाएं, वीरांगनाओं का नाम दिया।
मंजूषा राजस जौहरी, विनीता धर्म एवं डॉ. संध्या चौकसे ने बताया कि दशहरा मैदान पर शाम 4 बजे से मातृशक्तियों का जुटना शुरू हो गया था। मातृशक्तियों को 9 खंडों में बांटा गया था। इन 9 खंडों को लोक माता अहिल्याबाई, राज माता जीजाबाई, रानी दुर्गावती, रानी पद्मावती, रानी लक्ष्मीबाई, माता गुजरी, सावित्रीबाई फूले, महादेवी वर्मा, रानी अवंतीबाई नाम दिया गया था।
वीरांगनाओं व भगवान की वेशभूषा में पहुंची नारी शक्तियां।
पूजा खण्डेलवाल, मंजीत गर्ग एवं प्रियंका तिवारी ने बताया कि शस्त्र आराधना यात्रा भारत की वीरांगनाओं को समर्पित करते हुए नारी थीम पर ही आयोजित की गई थी। यात्रा में भारत माता की झांकी भी बनाई गई थी जो यात्रा के मार्ग में आकर्षण का केंद्र रही। इसी के साथ 12 अश्वों पर हाथों में शस्त्र लिए भारत की वीरांगनाओं के स्वरूप में महिलाएं व युवतियां चल रहीं थीं। यात्रा में ड्रेस कोड़ भी था जिसमें सभी मातृशक्तियां पीली व औरेंज कलर की साड़ी में नजर आई। यात्रा में राधा-कृष्ण, राम, लक्ष्मण, सीता, कालका माता सहित अन्य देवी – देवताओं की वेशभूषा में युवतियां बग्घियां में सवार थी।
झाबुआ की मंडली ने जमाया रंग।
यात्रा के मध्य भाग में झाबुआ की आदिवासी नृत्य की टोली ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। जगह-जगह आदिवासी मंडली का स्वागत भी किया गया। यात्रा में शामिल स्कूली बच्चों द्वारा दी गई बैंड की प्रस्तुति ने भी समां बांध दिया।
इन्दौर कान्वेंट हायर सेकेण्डरी स्कूल के 40 बच्चों ने भी बैंड़ की आकर्षक प्रस्तुति से सभी का ध्यान अपनी और खींचा। लालबाग परिसर पहुंचकर यात्रा का समापन हुआ।
प्रचार प्रमुख जवाहर मंगवानी ने बताया कि गुरुवार से ही लालबाग परिसर में शुरू हुआ पांच दिवसीय सेवा मेला आम नागरिकों के लिए सुबह 10 से रात्रि 10 बजे तक खुला रहेगा। प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी जाएगी। सोमवार 2 दिसंबर को प्रात: 10 बजे इस पांच दिवसीय सेवा मेले का समापन सम्मान समारोह के साथ होगा। सम्मान समारोह के मुख्य वक्ता विजय पौराणिक (संयुक्त महामंत्री राष्ट्रीय सेवा भारती नई दिल्ली) होंगे।