‘झंडा ऊंचा रहे हमारा ’ अभियान के तहत प्रेस क्लब सभागृह में शहर की यातायात व्यवस्था पर एक सामयिक पहल।
इंदौर : यातायात व्यवस्था के मामले में इंदौर को बड़े शहरों में की गई गलतियों से सीखना होगा। इंदौर में प्रति हजार आबादी पर 400 से कुछ ज्यादा निजी वाहन हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। निजी वाहनों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो हम चाहे जितनी ही सड़कें बना लें, हालात और भयावह होते जाएंगे। पिछले दो दशकों में देश में यातायात और सड़कों को लेकर बहुत काम हुआ है। इसके कारण शहरों में होरिजेंटल विकास तो खूब हुआ, लेकिन दिक्कत यह है कि ट्रेवल टाइम उतना ही लग रहा है। इंदौर की बात करें तो यह ऐसे दुष्चक्र में फंस गया है, जिससे बाहर निकलना ही होगा। सबसे जरूरी यह है कि हम निजी वाहनों को खरीदने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करें और लोक परिवहन के ज्यादा इस्तेमाल को प्रोत्साहित करें। जहां तक मेट्रो की बात है, इंदौर में मेट्रो ट्रेन से भी ज्यादा उम्मीद नहीं रखना चाहिए।
ये विचार हैं बेंगलुरू के प्रख्यात यातायात विशेषज्ञ और इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस के प्रो. डॉ. आशीष वर्मा के जो उन्होंने संस्था सेवा सुरभि, इंदौर प्रेस क्लब एवं जन आक्रोश के संयुक्त तत्वावधान में झंडा ऊंचा रहे हमारा अभियान के तहत शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर ‘शहरी परिवहन – कल, आज और कल’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता यातायात विशेषज्ञ प्रो. गिरीश नायक ने की।
प्रारंभ में प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वागत उदबोधन में शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. आशीष वर्मा के सुझावों और विचारों पर अमल करने का आग्रह किया। व्याख्यान में कलेक्टर इलैया राजा टी., पद्मश्री जनक पलटा, अजीतसिंह नारंग, पूर्व महापौर डॉ. उमा शशि शर्मा, अनिल त्रिवेदी, शिवाजी मोहिते, गोविंद मालू, राजेश अग्रवाल, मुरलीधर धामानी, मोहन अग्रवाल, ओमप्रकाश नरेडा, यातायात पुलिस के अतिरिक्त अधीक्षक अरविंद तिवारी एवं यातायात व्यवस्था से जुड़े शहर के अनेक इंजीनियर एवं विशेषज्ञ भी मौजूद थे।
निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करें।
डॉ. वर्मा ने प्रोजेक्टर की मदद से अपना प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करते हुए कहा कि बैंगलुरू में वे जिस संस्थान से जुड़े हैं वह देश में यातायात व्यवस्था पर ही फोकस करता है। देश में यातायात की स्थिति काफी पैचिदा और कठिन है। यातायात को लेकर हमें अनेक पहलुओं पर शोध करना होता है। शहरों की यातायात व्यवस्था को सुधारने का मुख्य बिन्दू यही हो सकता है कि जो लोग खुद के निजी वाहनों का उपयोग करते हैं, उन्हें हतोत्साहित करें और लोक परिवहन के जितने भी साधन जहां उपलब्ध हैं, उन्हें प्रोत्साहित एवं प्रेरित करें। लोक परिवहन के वाहनों के उपयोग से सड़क के छोटे से हिस्से का ही उपयोग होता है। ज्यादा वाहनों के बजाय कम वाहनों में ज्यादा लोग आना-जाना करें, बीआरटीएस, लाइट रेल ट्रांजिट आदि जो वैकल्पिक साधन हैं, उन पर फोकस करें तो बहुत हद तक हम व्यवस्था को सुधार सकते हैं। अर्बन ट्रांसपोर्ट के मामले में वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया के धनी देशों में एक हजार की आबादी पर 600 से 800 निजी वाहन हैं। भारत में प्रति हजार आबादी पर 70 से 100 वाहन ही हैं। ऐसे में हम धनी देशों के मुकाबले बहुत पीछे हैं, इसके बावजूद हमारे सामने अनेक चुनौतियां हैं। बैंगलुरू में प्रतिदिन 1500 से 2000 कारें रजिस्टर्ड होती हैं।
लोक परिवहन का जाल बिछाना जरूरी।
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि निजी वाहनों को खरीदने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करें। जापान और चीन ने कुछ ऐसे प्रयास किए हैं, जो हमें भी करना होंगे। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी बीआरटीएस, मेट्रो एवं अन्य साधनों का व्यवस्थित नेटवर्क बिछाना होगा। एक समय था जब इंदौर में लोग साइकिल चलाते देखे जाते थे, लेकिन अब वे गायब हो गए हैं। पैदल चलने वालों को भी बसों एवं अन्य वाहनों को प्राथमिकता देना होगी। शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ऐसी योजना बनाई जाना चाहिए कि लोगों के काम करने के स्थान और घर पास-पास हों, ताकि वें साइकल से भी पुहंच सकें। इस मामले में नीदरलैंड दुनिया की साइकल चलाने वालों की राजधानी मानी जाती है। वहां एक बड़ी आबादी साइकिल का प्रयोग करती है। जब तक हम लोक परिवहन के साधनों का व्यवस्थित नेटवर्क नहीं बिछाएंगे, हमें यातायात व्यवस्था चुनौती के रूप में देखना पड़ेगी।
यातायात में सुधार के सभी पहलुओं पर देंगे ध्यान।
व्याख्यान में कलेक्टर इलैया राजा टी. ने कहा कि मेट्रो को लेकर अभी से कोई धारणा नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने डॉ. वर्मा द्वारा दिए गए प्रोजेंटेशन की सराहना करते हुए कहा कि जहां तक इंदौर की बात है, यातायात से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार मंथन करेंगे और आम नागरिक भी यदि कोई उपयोगी सुझाव देते हैं तो उन पर भी विचार करेंगे। उन्होंने इस बात से सहमति जताई कि इंदौर में निजी वाहनों के प्रयोग को हतोत्साहित करने का विचार सामयिक और उपयोगी है। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और मेट्रो पर भी सुधार के लिए कोशिश करते रहेंगे।
व्यख्यान का संचालन संस्था सेवा सुरभि के अतुल शेठ ने किया। डॉ. आशीष वर्मा को पद्मश्री जनक पलटा, अजीतसिंह नारंग एवं कलेक्टर इलैया राजा टी. ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।