(सुनील धर्माधिकारी)
मण्डलेश्वर : महाशिवरात्रि के अवसर पर किसी ऐसे प्राचीन शिव मंदिर में जा कर दर्शन की इच्छा थी जो शहर से दूर किसी शांति पूर्ण स्थान पर हो । सुबह के अखबार में महू मंडलेश्वर रोड स्थित चोली गांव के प्राचीन शिव मंदिर के बारे में पढा तो मन में वहां जा कर दर्शन करने की इच्छा तीव्र हो उठी क्योंकि पहले भी कई बार इस शिव मंदिर की ख्याति सुनी थी लेकिन अब तक जा नहीं पाया था । महू मंडलेश्वर रोड पर मंडलेश्वर से 9 किमी पहले यह अदभूत मंदिर स्थित है । गौरी सोमनाथ मंदिर के नाम से विख्यात यह मंदिर राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है । यहां लगे बोर्ड के मुताबिक यह मंदिर 10-11 वीं शताब्दी में निर्मित है लेकिन यहां के पुजारी भगवान नाथ से बात चीत करने पर पता लगा कि इस मंदिर के शिवलिंग की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी । पुजारी के कहे अनुसार यहां शिवलिंग जमीन से उपर 8 फीट की उंचाई पर है जबकि गहराई में यह उससे दुगने से भी ज्यादा अंदर हैं । मंदिर की स्थापत्य कला दर्शनीय है । इसका जीर्णोद्धार कृष्णा बाई होलकर द्वारा किया गया है । शिवलिंग़ के ठीक सामने कछुए और शिव के वाहन नंदी की विशाल प्रतिमा भी स्थापित है । शिव मंदिर के ठीक पास काल भैरव का भी अदभुत मंदिर स्थापित है । मंदिर में काल भैरव की मूर्ति के तीन मुख हैं जो मेरी जानकारी में और कहीं देखने में नहीं आते हैं । ये तीन मुख क्यों हैं इसकी जानकारी यहां कोई नहीं दे पाया । भैरव मंदिर की स्थापना भी पांडव कालीन ही कही गई । इस मंदिर के ठीक सामने एक और शिव मंदिर है जिसे ओंकारेश्वर मंदिर कहा जाता है । गांव वालों के मुताबिक यही ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्व में स्थापित था जिसे बाद में यहां से कुछ दूरी पर स्थित ओंकारेश्वर में स्थापित किया गया । मंदिर के ठीक सामने विशाल तालाब है जो इस वक्त पानी से लबालब भरा हुआ था । चोली गांव की इन्दौर से दूरी लगभग 65 किमी है । वहां तक जाने का मार्ग बहुत ही अच्छा है बस वाहन स्वयं का होना चाहिए । बस से जाना हो तो मंडलेश्वर तक बस व्यवस्था व्हाया धामनोद उपलब्ध है । जब आत्मिक शांति प्राप्त करने की इच्छा हो तो यहां हो आईये बहुत अच्छा लगेगा ।