इंदौर: टीवी डिबेट्स में जनरल बख्शी को बेबाकी के साथ अपनी बात रखते हुए कई बार सुना है। थल सेना में रहते 1971 की लड़ाई सहित कई बड़े ऑपरेशन्स में हिस्सा लेनेवाले जनरल बख्शी अब रिटायर्ड हो चुके हैं पर देश के प्रति उनका जज्बा और जुनून अभी भी वही है। जब वे बोलना शुरू करते हैं तो लगता है शेर दहाड़ रहा है। आप उनके विचारों से असहमत हो सकते हैं पर उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते। वे जैसे को तैसा जवाब देने में यकीन रखते हैं। इजराइल की वार नीति के वे बड़े प्रशंसक हैं। यही कारण है कि उनके मुरीदों की तादाद बहुत बड़ी है।
रविवार को हेडगेवार स्मारक समिति के चिंतन यज्ञ में जनरल जीडी बख्शी का व्याख्यान रखा गया था। स्वाभाविक रूप से एक पत्रकार होने के नाते उन्हें सुनने की उत्सुकता थी ही, तो नियत समय से 10 मिनट पहले ही आयोजन स्थल बास्केटबॉल स्टेडियम पहुंच गया। चाय- बिसकिट्स का इंतजाम आयोजकों ने कर रखा था। चाय की चुस्कियां लेने के बाद स्टेडियम में दाखिल हो गया। अंदर पहुंचकर नजर दौड़ाई तो गैलरी खाली दिखाई दी। लगा आयोजकों ने इतनी बड़ी जगह लेकर गलती तो नहीं कर दी पर मेरी आशंका गलत साबित हुई। देखते ही देखते पूरा स्टेडियम खचाखच भर गया। कार्यक्रम शुरू होने तक तो हालात ये हो गए कि स्टेडियम में जगह नहीं मिलने से हजारों लोगों को परिसर में ही अपनी जगह सुरक्षित करनी पड़ी। परिसर में बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी जिससे लोग जनरल बख्शी को सुनने से वंचित न रहे।
चरम पर था देशभक्ति का जज्बा।
प्रमुख वक़्ता जनरल जीडी बख्शी को लेकर लोगों में कितना जबरदस्त उत्साह था इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके आने से पहले ही समूचा बास्केटबॉल स्टेडियम रह- रह कर देशभक्ति के नारों से गूंज रहा था। पूर्व सैनिक, युवा, महिलाएं सहित समाज का हर तबका इस जोशीले माहौल का हिस्सा बन गर्व महसूस कर रहा था। जनरल बख्शी के आते ही देशभक्ति का जोश, जज्बा और जुनून जैसे चरम पर पहुंच गया। सभी ने खड़े होकर वंदेमातरम और भारत माता की जय के नारों के साथ राष्ट्रनायक की भांति जनरल बख्शी का स्वागत किया।
मंच पर उनके साथ ख्यात उदघोषक सुशील दोषी मुख्य अतिथि के बतौर मौजूद रहे।
जनरल बख्शी की खरी- खरी।
मुख्य अतिथि सुशील दोषी के उदबोधन के बाद तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जनरल बख्शी ने माइक सँभाला। शेर की दहाड़ जैसे अपने चिरपरिचित अंदाज में जब जनरल बख्शी ने बोलना शुरू किया तो उनका आक्रोश जैसे फट पड़ा। आजादी से लेकर पुलवामा तक कि घटनाओं पर सिलसिलेवार अपनी बात रखते हुए जनरल बख्शी ने कबूतर गैंग और मोमबत्ती गैंग पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने खरी- खरी सुनाते हुए कहा कि आजादी हमें गांधीवाद की वजह से नहीं बल्कि सुभाषचंद्र बोस जैसे सपूतों और आजाद हिंद फौज की वजह से मिली। उन्होंने कहा कि 1947 में भारतीय सेना एक्शन मोड़ में थी उस समय कश्मीर का मसला यूएनओ में ले जाना सबसे बड़ी गलती थी, जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं।
छद्म युद्ध में 80 हजार जानें गई।
जनरल बख्शी ने 1965 और 1971 के युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि दोनों ही युद्ध में बुरीतरह मार खाने के बाद पाकिस्तान को समझ आ गया था कि वह पारंपरिक युद्ध में भारत से जीत नहीं सकता इसीलिए उसने आतंकियों को ट्रेनिग और हथियार मुहैया कराकर 1990 के दशक में भारत के खिलाफ छद्म युद्ध शुरू कर दिया। तब से अबतक 80 हजार से ज्यादा सैनिक और आम नागरिक शहीद हो चुके हैं।
डिफेंसिव होने की कीमत चुकानी पड़ी।
जनरल बख्शी ने पूर्ववर्ती सरकारों पर बरसते हुए कहा कि बीते 30 वर्षों में रक्षात्मक नीति अपनाने का ही परिणाम है कि हमपर लगातार हमले होते रहे पर एटमी हमले का भय दिखाकर कबूतर और मोमबत्ती गैंग सैन्य कार्रवाई से सरकारों को रोकती रहीं। यही कारण रहा कि पाकिस्तान ने सौरभ कालिया और हमारे हमारे अन्य जवानों के साथ बर्बरता की हिमाकत की पर हम कुछ नहीं कर सके।
सबूत मांगने वालों पर बरसे जनरल।
जनरल बख्शी के मुताबिक 2016 से हमारी नीति में बदलाव आया और हम रक्षात्मक से आक्रामक हुए। पाकिस्तान में घुसकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक उसी का नतीजा थी। पुलवामा हमले के बाद तो हमारी वायुसेना ने पाकिस्तान में 80 किमी अंदर घुसकर बालाकोट में स्थापित आतंकी संगठन जैश का अड्डा तबाह कर दिया जिसमें सैकड़ों आतंकी मारे गए। उन्होंने एयर स्ट्राइक के सबूत माँगनेवालों को जमकर आड़े हाथों लिया। जनरल बख्शी ने कहा कि ये भारत की एयर स्ट्राइक का ही नतीजा था कि तिलमिलाए पाकिस्तान ने अपने 24 जहाज भारत के सैन्य ठिकानों पर हमले के लिए भेजे जिन्हें हमारी वायुसेना ने न केवल खदेड़ दिया बल्कि मिग-21 जैसे पुराने विमान के जरिये विंग कमांडर अभिनंदन ने उनका अत्याधुनिक एफ-16 हवाई जहाज भी मार गिराया।
भारत की सख्ती के चलते ही लौटाना पड़ा अभिनंदन को।
जनरल बख्शी ने कहा कि ये भारत की आक्रामक नीति और कारगर कूटनीति का ही नतीजा था कि पाकिस्तान को दो दिन के अंदर विंग कमांडर अभिनंदन को ससम्मान लौटाना पड़ा।
आर- पार की जंग जरूरी।
जनरल बख्शी का कहना था कि यह सही समय है जब पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया जाना चाहिए। उसकी माली हालत खस्ता है। वो कायरों की भांति पीठ पर वार करता है। एक बार उसका निपटारा हो ही जाना चाहिए।आतंक के बीच बातचीत नहीं हो सकती। पाकिस्तान को दृढ़ता के साथ ये कहने की जरूरत है कि वह मसूद अजहर, हाफिज सईद और दाऊद जैसे आतंकी सरगनाओं को भारत के हवाले करें अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
आज का भारत सशक्त भारत।
नारों की अनुगूंज के बीच जनरल बख्शी ने कहा कि आज का भारत सशक्त भारत है। अब लड़ाई दुश्मन की धरती पर होगी। हम दुश्मन देश को चार टुकड़ों में बांट देंगे।
एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाना पड़ सकता है महंगा।
जनरल बख्शी के व्याख्यान में जिसतरह भीड़ उमड़ी और लोगों ने खुलकर अपने जोश, जुनून व जज्बात का इजहार किया उससे ये तो तय है कि एयर स्ट्राइक लोगों के लिए एक भावनाक मुद्दा बन गया है। जो लोग इसपर सवाल उठाने की गलती कर रहे हैं उन्हें इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।