कानपुर : यूपी में गुंडे- बदमाश इतने बेखौफ हो गए हैं कि वे खुलेआम पुलिसवालों को मौत के घाट उतार रहे हैं। कानपुर में वर्ष 2001 में हुए संतोष शुक्ला हत्याकांड के आरोपी कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर गुरुवार रात दबिश देने गई पुलिस पर बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। अचानक हुई इस फायरिंग में एसओ महेश यादव और सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। वहीं, चार पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस फायरिंग के बाद एसएसपी, तीन एसपी और एक दर्जन से अधिक थानों का फोर्स मौके पर पहुंच गया। हालांकि तब तक बदमाश वहां से भाग निकले।
घेराबंदी किए जाने पर बदमाशों ने की फायरिंग।
गोली लगने से घायल बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि गुरुवार देर रात चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव निवासी कुख्यात बदमाश विकास दुबे के घर पुलिस टीम दबिश देने गई थी। बिठूर व चौबेपुर पुलिस ने विकास के घर को चारों तरफ से घेर लिया। पुलिस दरवाजा तोड़कर बदमाशों को पकड़ने का प्रयास कर ही रही थी कि विकास के साथ मौजूद 8-10 बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। पुलिसकर्मी जब तक कुछ समझ पाते गोली मेरी जांघ और हाथ पर लग गई। इसके बाद अपराधी मौके से भाग निकले।
हमले की जानकारी मिलते ही कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार, एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार समेत तीन एसपी और कई सीओ सर्किल फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। देर रात तक अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस दबिश देती रही।
कानपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक जय नारायण सिंह ने 8 पुलिसकर्मियों के मारे जाने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि चार और पुलिसकर्मियों की हालत नाजुक बनीं हुई है।
मुठभेड़ में इन पुलिसकर्मियों की हुई मौत।
देवेंद्र कुमार मिश्र, सीओ बिल्हौर,
महेश यादव, एसओ शिवराजपुर,
अनूप कुमार, चौकी इंचार्ज मंधना
नेबूलाल, सब इंस्पेक्टर शिवराजपुर, सुल्तान सिंह कांस्टेबल थाना चौबेपुर
राहुल, जितेंद्र और बबलू थाना बिठूर।
चार सिपाहियों की हालत नाजुक।
बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान चार पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं और कानपुर के रीजेंसी हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती हैं। इसमें दो सिपाहियों के पेट में गोली लगी है।
पुलिस कुछ समझ ही नहीं पाई।
घायल पुलिसकर्मियों ने बताया कि दबिश के दौरान अपराधियों ने इस तरह से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी कि जैसे पहले से ही उन्हें भनक लग गई थी। घेराबंदी पुलिस जब तक कुछ समझ पाती या मोर्चा संभालती सात जवानों को गोली लगने से वह बैकफुट पर आ गई। इसके बाद बदमाश मौके से भाग निकले।
विकास दुबे पर दर्ज है 50 से ज्यादा संगीन अपराध।
25000 का इनामी विकास दुबे पूर्व प्रधान व जिला पंचायत सदस्य भी रह चुका है। उसके खिलाफ करीब 53 हत्या के प्रयास के मुकदमे चल रहे हैं। कई बड़े हत्याकांडों में वह शामिल रहा है।