मुम्बई : विधानसभा का चुनाव मिलकर लढने के बावजूद बीजेपी- शिवसेना में तल्खी बढ़ती जा रही है। शिवसेना 50- 50 के फार्मूले पर सत्ता का बंटवारा चाहती है। उसकी प्रमुख मांग सीएम पद को लेकर है। वह चाहती है कि ढाई- ढाई साल के लिए शिवसेना और बीजेपी का सीएम बनें। बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं है। उसका मानना है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते पूरे पांच साल सीएम उसी का ( देवेंद्र फडणवीस) होगा। शिवसेना आदित्य ठाकरे को सीएम पद पर आसीन देखना चाहती है। इसी बात को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
बन सकते हैं नए समीकरण।
इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत की एनसीपी प्रमुख शरद पंवार से मुलाकात ने महाराष्ट्र में नए समीकरण बनने की सुगबुगाहट भी तेज कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना, एनसीपी के सहयोग से सरकार बना सकती है। कांग्रेस भी चाहती है कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखा जाए। इसके चलते वह शिवसेना- एनसीपी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकती। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के पास विपक्ष में बैठने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा।
राष्ट्रपति शासन के बयान ने डाला आग में घी।
सरकार बनाने को लेकर चल रही सियासी उठापटक के बीच निवर्तमान फडणवीस सरकार में वित्त मंत्री रहे बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार के बयान ने आग में घी का काम किया है। एक प्रचार माध्यम को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार नहीं बना पाई तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। इसपर भड़की शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिये बीजेपी पर जोरदार हमला बोला है। उसने सामना में तंज कसते हुए लिखा है कि क्या राष्ट्रपति तुम्हारी (बीजेपी) जेब में है? क्या राष्ट्रपति की मुहर वाला स्टेम्प राज्य के बीजेपी कार्यालय में रखा हुआ है ? अगर बीजेपी की सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन रूपी आपातकाल महाराष्ट्र पर थोप दिया जाएगा, क्या इस धमकी का अर्थ जनता ये समझे ? सामना में आगे लिखा है कि श्री मुनगंटीवार के बयान से उनकी और उनकी पार्टी की ये जहरीली सोच झलकती है कि कानून और संविधान को दबाकर वे जो चाहें मनमानी कर सकते हैं। बीजेपी पर कड़े हमले करते हुए सामना में कहा गया है कि कानून और संविधान किसी का गुलाम नहीं है। बहुमत का आंकड़ा हो या न हो, किसी और को सत्ता में नहीं आने देने के घमंड की महाराष्ट्र में हार हो चुकी है। बीजेपी को चुनौती देते हुए सामना में लिखा गया है कि राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देने वाले पहले सरकार बनाने का दावा तो पेश करें।
कांग्रेस को कई बार समर्थन दे चुकी है शिवसेना।
कांग्रेस के स्थानीय नेता शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के पक्ष में हैं। उन्होंने इस बारे में सोनिया गांधी से आग्रह भी किया है। उनका तर्क है कि अतीत में शिवसेना, कांग्रेस को कई बार समर्थन दे चुकी है। 2007 व 2012 में कांग्रेस के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी को शिवसेना ने समर्थन दिया था और वे राष्ट्रपति बने थे। इसके पहले 1980 में लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने इंदिराजी का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। इस बात के मद्देनजर शिवसेना का समर्थन करने के लिए कांग्रेस को पहल करनी चाहिए।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस 44 सीटें मिली हैं। 29 सीटें अन्य छोटे दलों व निर्दलीयों के खाते में गई हैं। 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत जुटाने के लिए 146 सीटें चाहिए।