इंदौर : पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन मंगलवार को भाई दूज के साथ हुआ। भाई- बहन के स्नेह भरे रिश्ते को एक बार फिर नए आयाम मिले।इस दिन बहनों ने भाइयों की आरती उतारी और मिठाई खिलाकर उनकी लम्बी आयु के साथ सुखी, स्वस्थ्य और समृद्ध जीवन की कामना की। भाइयों ने भी बहनों को उपहार भेंट कर सुख- दुख में उसके साथ खड़े होने का वचन दोहराया।
यम द्वितीया भी कहा जाता है।
दीपावली के दो दिन बाद याने पांच दिवसीय दीपोत्सव के पांचवे दिन भाई दूज मनाई जाती है। भाई बहन के स्नेह के प्रतीक इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यम की उपासना करने से अकाल मौत का भय नहीं रहता। इस दिन भाइयों का बहनों के घर जाकर भोजन करना शुभ माना जाता है।
चांवल का लेप लगाना होता है शुभ।
देश के विभिन्न हिस्सों में भाई दूज की परंपरा अलग- अलग ढंग से निभाई जाती है। कुछ क्षेत्रों में चांवल को पीसकर उसका और सिंदूर का लेप भाइयों के हाथों पर लगाया जाता है। उसपर पान के 5 पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का आदि रखकर जल छिड़कते हुए मंत्रोच्चार के बीच भाइयों की लंबी उम्र की कामना बहनों द्वारा की जाती है।