छात्र पाश्चात्य सभ्यताओं का अंधाधुंध अनुसरण ना कर देश की संस्कृति, परम्पराओं की रक्षा करें।
इंदौर : प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन, प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के चांसलर और प्रेस्टीज ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट डॉ. डेविश जैन को भारतीय संस्कृति आइकॉन पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्हें यह पुरस्कार भारतीय संस्कृति व परंपरा को समृद्ध करने, प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत छात्र – छात्राओं में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें देश की संस्कृति एवं सभ्यता से जोड़े रखने में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। हिंदी दिवस के अवसर पर गीत मंत्र कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में शहर एवं देश के युवा कवियों की उपस्थिति में डॉ. डेविश जैन को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
पूर्वजों द्वारा दिए गए संस्कारों को अपनाएं।
इस अवर पर अपने उद्बोधन में डॉ. जैन ने युवाओं से आग्रह किया कि वो पाश्चात्य सभ्यता का आंख मूंदकर अनुसरण ना करते हुए पूर्वजों द्वारा दिए गए संस्कारों को अपने जीवन में अपनाएं। देश की संस्कृति, परम्पराओं की रक्षा करें क्योंकि भारतीय संस्कृति एवं परंपरा में वो सब कुछ है जो एक आदर्श जीवन जीने तथा आदर्श आचार संहिता अपनाने के लिए आवश्यक है।
विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है भारतीय संस्कृति।
डॉ जैन ने कहा कि देश का एक जागरूक नागरिक होने के नाते हम सबका दायित्व है कि हम नवाचारों, आधुनिक विचारों को अपने आचरण में समाहित करने के साथ साथ अपने देश की संस्कृति एवं संस्कारों का पालन करते हुए राष्ट्रहित में अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहें। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है जो लगभग 5,000 हजार वर्ष पुरानी है। विश्व की पहली और महान संस्कृति के रूप में भारतीय संस्कृति को माना जाता है। “विविधता में एकता” हमारे देश की महान संस्कृति का परिचायक है।
हिंदी का सम्मान हम सबका नैतिक कर्तव्य।
हिंदी को हिंदुस्तान की भाषा और भारतवर्ष की राष्ट्रभाषा बताते हुए डॉ. जैन ने उपस्थित लोगों से आह्वान किया कि वो हिंदी को अपने दैनिक जीवन में जिएं और अपने लोगों, अपने बच्चों से हिंदी में ही बात करें। किसी भी देश की संस्कृति उसकी भाषा से प्रतिबिंबित होती है। उन्होंने कहा कि हिंदी का सम्मान करना हम सबका नैतिक कर्तव्य है।
इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मलेन में, शहर एवं देश के कई युवा कवियों ने अपनी स्व. रचित कविताओं एवं काव्य पाठ का वाचन कर उपस्थित श्रोताओं को रोमांचित किया।