पहले नाम भुलाया, अब प्रतिमा पर राजेंद्र माथुर का परिचय तक नहीं।
नाम भी हो गया गिटार तिराहा।
🔹 कीर्ति राणा 🔹
इंदौर : शहर की पत्रकार बिरादरी को तो स्व राजेंद्र माथुर का नाम सदैव याद रहेगा लेकिन हाल ही में जवान हुई पीढ़ी को गिटार के पीछे दबी छुपी प्रतिमा से कोई मतलब नहीं है।उसे तो पलासिया थाने वाला यह तिराहा गिटार तिराहे के नाम से ही याद है।
इस तिराहे का तत्कालीन महापौर स्व मधुकर वर्मा के वक्त सौंदर्यीकरण किया गया था, तब एक बिल्डर्स कंपनी ने दिलचस्पी दिखाई थी।तिराहे के सौंदर्यीकरण के पहले तक यहां पत्रकार राजेंद्र माथुर की प्रतिमा स्थापित थी।सौंदर्यीकरण के बाद स्व माथुर की प्रतिमा के आगे बड़ी गिटार स्थापित करने के बाद यह प्रतिमा छुप सी गई और यह तिराहा भी गिटार तिराहा हो गया।
इसी तिराहे वाले मार्ग का (पलासिया थाने से आनंद बाजार तक) स्मार्ट सिटी योजना के तहत क्षेत्र के पार्षद दिलीप शर्मा ने सौंदर्यीकरण करवाया। तिराहे पर गिटार का आकार और बड़ा हो गया।औपचारिकता के लिए स्व माथुर की प्रतिमा एक पेडस्टल पर रख दी गई लेकिन प्रतिमा के साथ उनका परिचय लिखने तक की जरूरत नहीं समझी गई। प्रतिमा के नीचे जब परिचय ही नहीं लिखा है तो आज की पीढ़ी को पता भी कैसे चले कि ये वही राजेंद्र माथुर रैं जिन्होंने आपात्तकाल के दौरान हर दिन नईदुनिया में न सिर्फ इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ लिखा था बल्कि आपात्तकाल की घोषणा वाले दिन देश का एकमात्र हिंदी अखबार था जिसने संपादकीय वाली जगह खाली छोड़ कर प्रेस की आजादी का समर्थन किया था।
स्व माथुर के मित्र कवि सरोज कुमार ने पीड़ा व्यक्त की।
कवि सरोज कुमार ने कहा जिस सपने को लेकर पत्रकारों ने रज्जू बाबू की प्रतिमा लगाई थी वह ऐतिहासिक प्रसंग था।इंदौर का यह सौभाग्य है कि दो महान पत्रकारों गणेश शंकर विद्यार्थी और माथुर की प्रतिमा शहर में लगी हैं।अफसोस है कि नगर निगम ने माथुर प्रतिमा पर परिचय तक नहीं लिखा।होना यह चाहिए कि सरकारी प्रेसनोट में भी गिटार की अपेक्षा माथुर तिराहा ही लिखा जाए।नगर निगम ने महू नाका से प्रताप प्रतिमा स्थानांतरित की। स्व लक्ष्मण सिंह गौड़ की प्रतिमा के प्रति जो सम्मान दर्शाया कम से कम उतना सम्मान स्व माथुर की प्रतिमा के प्रति भी दर्शाए।
संभागीय श्रमजीवी पत्रकार संघ की पहल पर लगी थी प्रतिमा।
पलासिया तिराहे पर स्व माथुर की प्रतिमा स्थापना संभागीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के तत्कालीन अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल की पहल पर हुई थी। तत्कालीन महापौर मधुकर वर्मा के वक्त अनावरण तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था।खारीवाल ने नगर निगम से अनुरोध किया है कि स्व माथुर की प्रतिमा को गरिमापूर्ण तरीके से स्थापित कर साथ में उनका जीवन परिचय भी लिखे।निगम यदि इस दिशा में तत्परता नहीं दिखाएगा तो पत्रकार संगठन ये पहल करेंगे।