किसी भी पेड़ का ट्रांसप्लांट नही होने देगे।
अभ्यास मंडल सहित विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने परिचर्चा में रखे विचार।
मौका आया तो सत्याग्रह भी करने को तैयार हैं प्रबुद्धजन।
इंदौर : सरकार को मालवा मिल और कल्याण मिल की जो 92 एकड़ जमीन मिली है उस पर किसी भी कीमत पर सीमेंट कांक्रीट का जंगल नही बनना चाहिए,भले ही उसके लिए नागरिकों को सड़क पर उतरना पड़े या सत्याग्रह करना पड़े तो करेगे।स्मार्ट सिटी के नाम पर या विकास की आड़ में शहर का जो विनाश हुआ वैसा अब नहीं होने देंगे।मिलों में जितने भी बड़े पेड़ हैं, उसमे से एक का भी ट्रांसप्लांट नही होगा। वहां जो बावड़ी, तालाब है उन्हें पूरी तरह संरक्षित किया जाएगा और किसी भी पेड़ को कटने नहीं दिया जाएगा। यह विचार विभिन्न पर्यावरण प्रेमी और प्रबुद्ध जनों के हैं जो उन्होंने अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किए। प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित इस परिचर्चा में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर इस शहर के साथ जो अन्याय हुआ, वह यहां के नागरिकों ने देख लिया है। यदि हमें मालवा मिल और कल्याण मिल की 92 एकड़ जमीन को बचाना है तो मिलकर इस काम को करना होगा। इंदौर के कलेक्टर बहुत ही संवेदनशील हैं। शहर के हित के लिए विकास के नाम पर विनाश नहीं होने देंगे। हमें इंदौर का विकास करना है लेकिन वह नियोजित विकास हो। स्मार्ट सिटी के नाम पर भोपाल में जो अनियोजित विकास हो रहा था, उस पर वहां के नागरिकों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और उसके सामने सरकार को झुकना पड़ा। आज स्थिति यह है कि भोपाल में एक छोटे से ही जगह पर स्मार्ट सिटी के तहत कार्य हो रहा है और बाकी काम भोपाल के बाहर हो रहा है। यह हम भोपाल से भी सीख ले सकते हैं।
पर्यावरणविद डॉ.शंकर लाल गर्ग ने कहा कि 92 एकड़ जमीन पर सर्वाधिक राजस्व की प्राप्ति होगी। एक पेड़ आधा किलोमीटर तक हवा देता है। वैसे भी हमारे यहां पेड़ की बहुत कमी है। देश में जंगल का राष्ट्रीय औसत 24% है जबकि इंदौर में मात्र 20% है उसमें भी सर्वाधिक जंगल महू क्षेत्र में है। इसलिए हमें इस जमीन पर जंगल बचाना होगा। यह एक सुनहरा अवसर है।।
इंटक नेता श्याम सुंदर यादव ने कहा कि जो भी काम करें वह जमीनी हो, कागजी नहीं।1965 – 66 में इंदौर में जल संकट आया था तब मालवा मिल के कुएं से इंदौर की प्यास बुझी थी।
डॉ.ओपी जोशी ने कहा कि इंदौर की आबादी आज 35 लाख है लेकिन कुल पेड़ो की संख्या 5 से 6 लाख है,इसलिए हमें पेड़ों की अधिक आवश्यकता है।यदि पेड़ अधिक होंगे तो जैव विविधता बढ़ेगी। वायु प्रदूषण घटेगा। तापमान में कमी आएगी और एक स्वच्छ वातावरण बनेगा। अभी आबादी के मान से इंदौर में हरियाली नहीं बढ़ी, न हीं वायु गुणवत्ता सुधरी। पेड़ जलवायु परिवर्तन का सामना करने में भी सक्षम है। अतः बड़ी संख्या में पेड़ लगाने की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कोठारी ने कहा कि मिलो की जमीन को बचाने के लिए अभ्यास मंडल सदैव से सक्रिय है और जब हमें दो मिलो की 92 एकड़ जमीन मिली है तो हमें इसका सदुपयोग करने की आवश्यकता है इस जमीन पर हमें वाटर बॉडी, खेल के मैदान और पर्यावरण संरक्षण के लिए केंद्र बनाने की आवश्यकता है। । वर्ष 2007 में भी स्वदेशी मिल की जमीन को बचाने के लिए अभ्यास मंडल ने हाईकोर्ट में एक पिटीशन दायर की थी और धरना भी दिया था।
शिक्षाविद डॉ रमेश मंगल ने कहा कि मिलो की जमीन इंदौर की जीवन रेखा है। हमें विशेषज्ञों को साथ लेकर इस जमीन का कैसे बेहतर उपयोग किया जाए ,उस पर चर्चा करनी चाहिए ,इसमें सभी संस्थाओं का सहयोग लेना होगा ताकि विकास के नाम पर विनाश ना हो।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ गौतम कोठारी ने कहा कि यह निर्णय देर से आया, लेकिन दुरस्त है ।यदि यह जमीन पहले मिल जाती तो शायद अभी तक सीमेंट क्रांकिट के जंगल में बदल जाती।
पूर्व उप महाधिवक्ता अभिनव घनोतकर ने कहा कि पेड़ एक जीवित प्राणी है और यह बात वैज्ञानिक डॉक्टर जगदीश चंद्र बसु ने भी कही है। अत मैं चाहता हू कि हमारा संविधान भी पेड़ को एक जीवित प्राणी माने इसके लिए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करूगा। मिलो की 92 एकड़ जमीन पर ग्रीन होम्स या ग्रीन नेचुरल होम्स बनाए जाए।
प्रो,असद खान ने कहा की दुबई में ग्रीनरी को लेकर बहुत काम हो रहा है, ऐसा इंदौर में हो गया तो बाहर से पर्यटक यहां आएंगे। यहां भी बॉटिनिकल गार्डन बनाया जाए।
सामाजिक कार्यकर्ता स्वप्निल व्यास ने कहा कि हमे विकास तो चाहिए,लेकिन पर्यावरण को बर्बाद करके नही।
नजमा खान ने कहा की सबकी राय लेकर ही कार्य करे। पर्यावरण बचाना वक्त की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद पोरवाल ने कहा कि मिलों की जमीन का उपयोग कमर्शियल नही होना चाहिए।
शब्बीर हुसैन ने कहा कि 92 एकड़ जमीन पर हरियाली अधिक होगी तो वाइल्ड लाइफ का सुंदर माहौल बनेगा। सारी बावडिया बचेगी, कुए और तालाब भी बचेंगे।
शफी शेख ने कहा कि विकास के नाम पर नेहरू पार्क का जो हश्र हुआ वैसा नही होने देगे।
हेमंत पन्हालकर ने कहा कि शहर में खुली जगह की बहुत कमी है अत: वहां हरियाली ही होना चाहिए।
पूर्व पुलिस अधिकारी मदन राणे ने कहा कि प्राकृतिक हवा की कमी के कारण शहर में सांस के रोगी बढ़ते जा रहे हैं।अत: यहां सीमेंट क्रांक्रीट के जंगल नही बनाए।
डॉ. दिलीप वाघेला ने कहा की मिलो की जमीन का बेहतर उपयोग हो।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. पल्लवी आढ़ाव ने किया।आभार अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने माना। इस मौके पर माला सिंह ठाकुर,वैशाली खरे, हरेराम वाजपेई सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।