इंदौर: फ़िल्म इंडस्ट्री में कई गायक कलाकार आये और बड़ा मुकाम बनाया लेकिन जो मुकाम मुकेश, मोहम्मद रफी और किशोरकुमार को हासिल हुआ वो किसी और को नहीं मिला। उनके गए गीत बरसों बाद भी उसी शिद्दत से गाए और गुनगुनाए जाते हैं। सोमवार को मोहम्मद रफी की जयंती थी। इस मौके पर उनके चाहनेवालों ने महफिलें सजाकर उन्हें याद किया। संजीव गवते ने भी अपनी संस्था अनुपम के जरिये रफी साहब को समर्पित कार्यक्रम का आयोजन किया। भोपाल की संस्था आरके क्रिएशन का उनको साथ मिला। कार्यक्रम की खास बात ये रही कि रफी साहब को यादों को ताजा करने उनके साहबजादे शाहिद रफी खुद तशरीफ़ लाए।
शाहिद रफी ने अपने पिता को उन्हीं के गाए सदाबहार गीतों के जरिये याद किया। पुकारता चला हूं मैं, दर्दे दिल दर्दे जिगर, चाँद मेरा दिल, बदन पे सितारे लपेटे हुए जैसे कई नगमें शाहिद रफी ने सुनाए। स्थानीय कलाकार हेमा, संध्या ग्रेवाल, नूपुर कौशल, मनीष शुक्ला, यश, और संदीप शर्मा ने एकल और युगल गीत पेश कर मोहमद रफी को आदरांजलि दी। संगीत संयोजन इंटरनेशनल रिदम बैंड के राजेश मिश्रा का था।
शाहिद रफी ने इस दौरान पिता मोहम्मद रफी से जुड़े संस्मरण सुनाने के साथ उनके जीवन पर फीचर फिल्म बनाने की भी जानकारी दी।उन्होंने बताया कि वे जल्दी ही इसपर काम शुरू करनेवाले हैं।
बहरहाल रफी साहब की यादों को समेटे गीतों का कारवां देर रात तक परवान चढ़ता रहा। कार्यक्रम का आयोजन सुखलिया स्थित आनंद मोहन माथुर सभागार में किया गया था।
मोहम्मद रफी पर फ़िल्म बनाएंगे बेटे शाहिद
Last Updated: December 25, 2018 " 07:08 am"
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