यज्ञ विज्ञान सम्मत दैविक क्रिया है- पं.अग्निहोत्री

  
Last Updated:  November 16, 2019 " 08:57 am"

इंदौर : प्रकृति के शुद्धिकरण की आज सख्त जरूरत है। वायुमण्डल में हरतरह का प्रदूषण फैल रहा है। इसीलिए हमें कुदरत के प्रकोप का भी सामना करना पड़ रहा है। यज्ञ एक विज्ञान सम्मत आध्यात्मिक और दैविक क्रिया है। जो हमें स्वच्छ पर्यावरण के साथ नवजीवन भी देती है। यज्ञ के प्रभाव से ही प्रकृति हमें अन्न, जल और जीवन के लिए संरक्षण प्रदान करती है। यज्ञ व्यक्ति विशेष के लिए नहीं सर्वजन हिताय- सर्वजन सुखाय के लिए होता है।
ये विचार ब्रह्मचारी आचार्य पंडित प्रशांत अग्निहोत्री ने व्यक्त किये। वे यादव नगर में चल रहे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में श्रीराम महायज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डाल रहे थे। महोत्सव का आयोजन दामोदर वंशीय जूना गुजराती { क्षत्रिय दर्जी समाज) ने किया है।
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत चल रहे
श्रीराम महायज्ञ में 21यजमान युगलों ने विशेष आहुतियां समर्पित की। नवग्रह शांति के लिए पलाश, खेर, अपामार्ग और पीपल की लकड़ी की समिधा से भी हवन में आहुतियां दी गई।
उधर मन्दिर में स्थापित की जाने वाली देव प्रतिमाओं की शास्त्रोक्त विधि से अधिवास की प्रक्रियाएं भी चल रहीं हैं।
शनिवार को स्नापन विधि में 108 कलशों से देव प्रतिमाओं को औषधियों से स्नान कराया जाएगा। रविवार 17 नवम्बर को प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य महोत्सव शिखर पर ध्वज स्थापना के साथ अभिजीत मुहूर्त में प्रारम्भ होगा।

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