पीथमपुर में कचरे के निपटान का रास्ता साफ।
नई दिल्ली : भोपाल के यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर में निष्पादित करने का रास्ता साफ हो गया है। इसे लेकर इंदौर निवासी चिन्मय मिश्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका सुनवाई के बाद खारिज कर दी गई। जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की डबल बेंच में गुरुवार (27 फरवरी) को इस केस की सुनवाई हुई।
याचिकार्ता की जो आपत्तियां थीं उसके विरुद्ध सरकार की ओर से दिए गए काउंटर एफिडेविट का सुप्रीम कोर्ट ने अवलोकन किया। और उसके ग्राउंड पर याचिका को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को डिस्पोज ऑफ किया कि हाईकोर्ट में पहले ही यह मामला विचाराधीन है, उसमें एक्सपर्ट्स और कमेटी के इन्वॉल्वमेंट का होने के बाद यूनियन कार्बाइड के कचरे के डिस्पोजल का 27 फरवरी को ट्रायल रन होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2015 में हुए दो ट्रायल रनों का भी संज्ञान लिया और CPCB के टेस्ट रिपोर्ट्स का अवलोकन भी किया। उसके आधार पर डबल बेंच ने याचिका को डिस्पोज ऑफ किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर पिटिशनर को किसी तरीके से कोई भी तथ्य या आपत्ति करना है तो हाईकोर्ट जबलपुर में दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल रन को लेकर कहा कि जैसा हाईकोर्ट का आदेश है उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाए।
एक्सपर्ट्स के मार्गदर्शन में जो कार्रवाई चल रही है, उसको भी सुप्रीम कोर्ट ने एप्रिशिएट किया। कोर्ट ने राज्य सरकार, CPCB और एमपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किए गए प्रयासों को भी सराहा। बता दें कि मप्र हाई कोर्ट पहले ही यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर स्थित रामकी प्लांट में निपटारे का आदेश दे चुका है। कोर्ट के आदेश के अनुरूप ट्रायल रन का पहला चरण 27 फरवरी को तय था। शासन – प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर कोर्ट के रुख का इंतजार कर रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका को खारिज किए जाने के बाद कचरे के निष्पादन में कोई कानूनी बाधा नहीं रह गई है।