छत्रीबाग स्थित वैंकटेश देवस्थान से निकली रथयात्रा, 75 वर्षो की परंपरा कायम रही।
गोविंदा गोविंदा के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं ने हाथों से खींचा प्रभु वेंकटेश का रजत रथ।
पुष्प वर्षा कर की गई प्रभु वेंकटेश की अगवानी।
नासिक से आये 80 कलाकारों के ढोल – ताशा पथक ने दी विशेष प्रस्तुति।
नयनाभिराम झांकियां रही आकर्षण का केंद्र।
इंदौर : पावनसिद्ध धाम श्री लक्ष्मी – वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग से मंगलवार को देश की तीसरी सबसे बड़ी पारंपरिक रथयात्रा गोविंदा- गोविंदा के जयघोष के साथ निकली। हर भक्त की निगाह ठाकुरजी की एक झलक पाने को आतुर थी।समूचा माहौल भक्ति और आध्यात्म से सराबोर हो रहा था।
रजत रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले प्रभु वेंकटेश।
भगवन वेंकटेश अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए पूरे लाव लश्कर के साथ रजत रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलें। श्रीमद् जगतगुरु रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज, यात्रा में पैदल चलते हुए भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते चल रहे थे। उनका आशीर्वाद पाने की भक्तों में जैसे होड़ मची थी।
पूजन के साथ प्रारंभ हुई रथयात्रा।
इसके पूर्व नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के साथ सत्यनारायण शर्मा,नारायण पवन व्यास,रमेश विजय चितलांगया परिवार, वेंकटेश मंदिर ट्रस्ट कमेटी के रवींद्र धुत और ब्रम्होत्सव रथयात्रा महोत्सव समिति के कैलाश मुंगड, महेंद्र नीमा, बालकिशन सिंगी, केदारमल जाखेटिया, पंकज तोतला, भरत तोतला, अशोक डागा, पुष्प माहेश्वरी, रंगेश बियानी ने रथ का पूजन किया।इसके बाद वेंकटरमणा गोविन्दा के उदघोष के साथ रथयात्रा प्रारंभ हुई। इसके बाद तो रथयात्रा जिस भी क्षेत्र से गुजरी, वेंकटरमणा गोविन्दा के उदघोष के साथ पुष्प वर्षा से रथयात्रा का स्वागत किया गया। यात्रा मार्ग के दोनों ओर खड़े हज़ारों श्रद्धालुओं ने रजत रथ में सवार प्रभु वेंकटेश के दर्शनों का पुण्य लाभ लिया। यात्रा में व्यवस्थाओं की कमान राम सोमानी, आशीष बाहेती,आशीष लड्डा, ऋषि शर्मा,अपेक्षित पंचारिया, परीक्षित जाजू, अर्पित माहेश्वरी,निधीश नागोरी, मुदित पलोड़,आनंद बजाज, सपन माहेश्वरी आदि ने संभाल रखी थी।
इन मार्गों से गुजरी रथयात्रा।
रथयात्रा छत्रीबाग से प्रारंभ होकर नरसिंह बाज़ार , सीतलामाता बाज़ार , गोराकुण्ड चौराहा , शक्कर बाज़ार,बड़ा सराफा , पीपली बाज़ार,बर्तन बाजार, बजाजखाना,साठा बाजार होते हुए पुनः मदिर पहुंची। मार्ग में करीब 200 स्थानों पर मंचों से रथयात्रा का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। जगह- जगह परिवारों और व्यापारियों द्वारा प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी। व्यापारियों ने भी बाजारों में रथ यात्रा का स्वागत किया। समूचे मार्ग पर स्वागत द्वार,ध्वज पताकाएं और विद्युत रोशनाई भी की गई थी।
नयनाभिराम झांकियां रहीं आकर्षण का केंद्र।
रथयात्रा में गौ माता की रक्षा करने और हर दिन के चूल्हे की पहली रोटी गाय तक पहुंचाने की अपील को मार्मिकता के साथ उठाया गया। गीता का सार और शबरी के हाथों प्रभु श्रीराम द्वारा खाए मीठे बेर की झांकी आकर्षण का केंद्र रही।
रामानुज सम्प्रदाय की दिखी झलक।
रथयात्रा में रामानुज स्वामी की झांकी के माध्यम से हैदराबाद में स्थापित स्टेचू ऑफ युनिटी का सुंदर दृश्य उभर कर आ रहा था। झांकी के जरिए रामानुज स्वामी द्वारा किए गए कार्यों को भी बताया गया।
रथयात्रा में सबसे आगे राजकमल बैंड भजनों के साथ सुसज्जित गाड़ी के माध्यम से भक्तों को लालायित कर रहा था। 21 घोड़ो पर धार्मिक पताका लिए कमांडो की विशेष पोषाख में संवार थे। देश भर से पधारे 21 संत बग्गियों में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दे रहे थे। इसके पीछे चांदी के ठाकुरजी की सवारी के वाहन के रूप में गरुड़ वाहन , हनुमान वाहन,अश्व वाहन,गज वाहन,मंगलगिरी वाहन चल रहे थे। इन वाहनों पर ठाकुरजी के चित्र विराजित थे।
भजनों पर खूब झूमे भक्तगण।
देवास से पधारे द्वारका दास मंत्री की भजन मंडली भजनों की रस गंगा प्रवाहित कर रही थी। महिलाएं और युवतियां भजनों पर समूह नृत्य करते हुए ठाकुरजी की भक्ति का अलख जगा रहे थे।
हरिकिशन साबू भोपूजी भी हजारों श्रद्धालुओं को भजनों की सुरीली बारिश कर झूमने पर मजबूर कर रहे थे।
मंगलवार को सुबह के सत्र में गौ अनकूट महोत्सव आयोजित किया गया। मुम्बई से पधारी अंजली जाजू ने इस मौके पर भजनों की प्रस्तुति दी। इसी के साथ संत सभा भी संपन्न हुई।
21 जून को शान्ति अभिषेक महोत्सव।
बुधवार सुबह 9 बजे से रजत कलशों से प्रभु को माखन लगाकर शांति अभिषेक किया जाएगा। इसी के साथ महोत्सव का समापन होगा।