ध्वाजारोहण के साथ ब्रम्होत्सव का शुभारम्भ।
इंदौर : पावन सिद्ध धाम श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में बुधवार ,14 जून को सात दिवसीय ब्रम्होत्सव एवं रथयात्रा महोत्सव् का शुभारंभ ध्वजारोहण के साथ हुआ।
प्रातः 7.15 बजे वेंकट रमण गोविंदा श्री निवासा गोविंदा नाम जप परिक्रमा निकली। बाद में प्रभु वेंकटेश की श्रंगार आरती की गयी।
ब्रम्होत्सव का शुभारम्भ ध्वजा रोहण के साथ किया गया जिसमे बड़ी संख्या में भक्तों ने हिस्सा लिया नाद स्वरम की धुन पर गोविंदा गोविंदा का जयघोष कर रहे थे।
स्वर्ण से निर्मित गरुड़ स्तम्भ पर रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के सान्निध्य में शास्त्रोक्त पद्धति से दक्षिण भारत से पधारे भटर स्वामियों से पूजन कराकर, स्तोत्र पाठ कर और सफ़ेद वस्त्र पर निर्मित ध्वज जिस पर भगवान गरुड़ को विराजमान किया गया था ध्वज को स्तम्भ पर चढ़ा कर ब्रम्होत्सव का विधिवत शुभारंभ किया गया।
ध्वजारोहण के साथ ही देवस्थान में सप्त दिवसीय यज्ञ देवता का पूजन कर यज्ञ भी प्रारम्भ किया गया।
देवस्थान के पुजारी सुदर्शनाचार्य बिहारी, शिवम पांडे, नितिन,दीपक जी द्वारा यजमान रमेश चितलांग्या परिवार द्वारा संकल्प कर रजत कलशों का पूजन किया गया। श्री रामानुज स्वामी महाराज का महाभिषेक रजत कलशों की सहस्त्र धारा से किया गया।इस अवसर पर श्री रामानुज स्वामी की स्वर्ण पुष्प व रजत पुष्प से अर्चना की गई।
इसके बाद संत सभा का आयोजन किया गया। नागोरिया पीठाधीश्वर स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज, स्वामीजी व स्वामी श्री रंगनाथाचार्य महाराज का बहुमान किया गया।
नागोरिया पीठाधीपति ने उपस्थित लोगों को आशीर्वचन कहां की हमारे इस सप्त दिवस उत्सव का महत्व ही रामानुजाचार्य स्वामीजी की जीवन काल की जानकारी पर विचार कर उसे ग्रहण करना है।
सायंकाल के सत्र में श्री रामानुज स्वामी की सवारी रजत वाहन पर विराजित हो शोभायात्रा के रूप में भक्तों को दर्शन देने निकली। यात्रा में वेणुगोपाल संस्कृत पाठशाला के विद्यर्थियों ने पाठ किया साथ ही भजन गायक सुधीर व्यास ने गुरु भजनों की प्रस्तुति का अदभुत समा बांधा।
पुष्प से।सजे दरबार में दिए प्रभु वैंकटेश ने दिव्य दर्शन।
मीडिया प्रभारी पंकज तोतला ने बताया कि प्रभु वेंकटेश,भगवती श्री महालक्ष्मी व श्री रामानुज स्वामी मोगर,गुलाब,जूही मधुकामिनी जैसे 1000 किलो फूलों से श्रृंगारित महल में विराजमान हुए। पुष्पों के द्वार सभी का मन मोह रहे थे।