राष्ट्र निर्माण और मीडिया विषय पर वक्ताओं ने रखे विचार।
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि, इंदौर ने आयोजित किया था परिसंवाद।
इंदौर : रविवार को प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विवि, इंदौर के न्यू पलासिया स्थित ओम शांति भवन में ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश भाईजी की 7 वी पुण्य स्मृति पर मीडिया परिसंवाद का आयोजन किया गया। विषय था ‘राष्ट्र निर्माण और मीडिया’।शहर की मीडिया से जुड़ी दिग्गज हस्तियों ने परिसंवाद में शामिल होकर संदर्भित विषय पर अपने विचार रखें। वक्ताओं ने राष्ट्र निर्माण में मीडिया के योगदान पर प्रकाश डालने के साथ बदलते परिदृश्य में मीडिया में आई गिरावट पर चिंता भी जताई। वक्ताओं ने मूल्य आधारित पत्रकारिता की पुनः स्थापना पर जोर देते हुए मीडिया को आध्यात्म से जोड़ने पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि राष्ट्र निर्माण केवल मीडिया की नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है।
मीडिया के लिए बनें आदर्श आचार संहिता।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि , रायपुर के पूर्व कुलपति डॉ. मानसिंह परमार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि राष्ट्र का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। आजादी दिलाने में मीडिया का अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया आज भी समाज और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहा है। डॉ. परमार ने सोशल मीडिया में आई स्वच्छंदता पर चिंता जताते हुए मीडिया के लिए आदर्श आचार संहिता बनाए जाने पर जोर दिया।
मिशन की पत्रकारिता का दौर लौटाए।
ब्रह्माकुमारिज मीडिया प्रभाग, माउंट आबू के राष्ट्रीय संयोजक ब्रह्माकुमार शांतनु ने संदर्भित विषय पर बोलते हुए कहा कि मूल्यों की जरूरत हर क्षेत्र में है। विज्ञापन मीडिया का हिस्सा नहीं है, न ही सनसनी फैलाना पत्रकारिता है। हमें चाहिए कि मीडिया को हम मिशन मोड़ पर वापस लाएं।लोककल्याण और एकता की भावना बढ़ाने में मीडिया की अहम भूमिका है। मीडिया को मेडिटेशन का साथ जरूरी है। जरूरत इस बात की है कि मीडिया का भारतीयकरण हो। समस्या की जगह समाधानमुलक पत्रकारिता हो।
देश के लिए अच्छे नागरिक तैयार करना हमारी जिम्मेदारी।
नईदुनिया के संपादक सदगुरु शरण अवस्थी ने कहा कि केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर देने से राष्ट्र नहीं बनता। राष्ट्र की अवधारणा सनातन परंपरा में अलग है। आर्थिक उदारीकरण के बाद पश्चिमी जीवन शैली हावी होने लगी है, ऐसे में परिवार और शिक्षकों के साथ हम सबकी जिम्मेदारी है कि देश के लिए अच्छे नागरिक तैयार करें। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की इज्जत बढ़ी है, लेकिन आंतरिक चुनौतियां कम नहीं हैं। शिक्षा में गुणवत्ता का, असमानता का संकट बना हुआ है। शिक्षकों का सम्मान घटा है। बढ़ता भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। नारी का सम्मान कम हुआ है, बच्चियों के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं। किसान अभी भी हमारी प्राथमिकता में नीचे हैं। मीडिया को इन समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके बिना भारत का विश्व गुरु बनने का सपना जुमला बनकर रह जाएगा।
विज्ञापन के बिना मीडिया निष्पक्ष नहीं रह सकता।
दैनिक भास्कर, इंदौर के संपादक अमित मंडलोई ने परिसंवाद में कहा कि सूचना के प्रवाह ने हमें जागरूक बना दिया है। बिना विज्ञापन के मीडिया निष्पक्ष बना नहीं रह सकता। समाज मीडिया को ताकत दे तभी मूल्यानुगत मीडिया की बात सार्थक हो सकती है।
संस्कारों के साथ खड़े होने पर राष्ट्र का निर्माण होता है।
साहित्यकार व कवि प्रो. राजीव शर्मा ने अपने धारा प्रवाह उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र के प्रति सम्मान हर नागरिक का दायित्व है। जब हम अपने संस्कारों के साथ खड़े होते हैं, तभी राष्ट्र का निर्माण होता है। पहले हम खुद का निर्माण करें, बाद में राष्ट्र निर्माण की बात करें। मीडिया में सकारात्मक बदलाव लाना हो तो मीडिया मालिकों को भौतिकतावाद से ऊपर उठना होगा। प्रो. शर्मा ने कहा कि ईमानदार, चरित्रवान और साहसी लोग ही राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
एक – दूसरे पर उंगलियां उठाने से किसी का भला नहीं होगा।
मधुबन न्यूज, माउंट आबू के प्रधान संपादक ब्रह्माकुमार कोमल ने कहा कि अपनेपन का भाव न हो तो राष्ट्र नहीं बन सकता।मीडिया भी आजीविका का साधन है। एक – दूसरे पर उंगलियां उठाने से कुछ हासिल नहीं होगा। हमें अपनी सोच बदलनी होगी। मीडिया से राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा इसलिए की जाती है कि उसकी बात सुनी जाती है।
राष्ट्र निर्माण पत्रकारिता का गुण सूत्र है।
दैनिक प्रजातंत्र के संपादक अनिल कर्मा ने कहा कि पत्रकारिता जिंदा है तो मानिए की राष्ट्र निर्माण हो रहा है। पत्रकारिता के गुणसूत्र में ही राष्ट्र निर्माण और लोक कल्याण की भावना निहित है। सबसे पहले की होड़ में हम राष्ट्रधर्म को तो अनदेखा नहीं कर रहे, यह समझने की जरूरत है।
संचार माध्यम अपसंस्कृति फैलाने का माध्यम बन गए हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विवि, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि आज की पत्रकारिता मिशन नहीं है। संचार माध्यम अपसंस्कृति फैलाने वाले माध्यम बन गए हैं।दमित वासनाओं का कारोबार किया जाने लगा है। रुचियां बदल जाए तो संस्कृति भी बदल जाती है। इसीलिए मूल्यों की बात की जा रही है। लंका भले सोने की रही हो, आदर्श तो रामराज्य ही रहा है। जो समाज व्यवस्था मूल्यों को छोड़कर आगे बढ़ती है, उसका पतन निश्चित होता है। उन्होंने कहा कि मीडिया प्रोफेशन है पर मिशन भी है। राष्ट्र निर्माण में उसकी जिम्मेदारी बड़ी है।
शिक्षक और मीडिया राष्ट्र निर्माण के उत्प्रेरक।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में मप्र साहित्य अकादमी, भोपाल के निदेशक विकास दवे ने कहा कि मीडिया या शिक्षक से राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा करना महज भ्रम है। ये केवल उत्प्रेरक का काम करते हैं।उन्होंने कहा कि मिशन हमेशा पवित्र नहीं होता, उसीतरह प्रोफेशन हमेशा खराब नहीं होता। मूल्य आधारित पत्रकारिता संभव है। प्रामाणिकता को सामने रखकर राष्ट्र को अच्छे नागरिक देना है तो मीडिया को पहल करनी होगी।
ब्रह्माकुमारीज, इंदौर जोन की चीफ जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने भी इस दौरान अपने आशीर्वचनों से उपस्थित मीडिया कर्मियों, छात्र – छात्राओं और प्रबुद्धजनों को लाभान्वित किया।
कार्यक्रम का संचालन नवभारत के समूह संपादक क्रांति चतुर्वेदी ने किया। आभार ब्रह्माकुमारी अनिता दीदी ने माना।