इंदौर: एक ओर तो प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए नए- नए कोविड केअर सेंटर खोलने में जुटा है लेकिन पहले से उपलब्ध सर्वसुविधायुक्त रेलवे के आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
टीही में 78 आइसोलेशन कोच में 1280 बेड हैं उपलब्ध।
पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी जितेंद्र कुमार जयंत ने बताया कि रेलवे ने चार रैक के 78 कोच को आइसोलेशन कोच का स्वरूप दिया है, ताकि इनका उपयोग कोरोना मरीजों के लिए कोविड सेंटर के बतौर किया जा सकें। एक रैक में 320 बेड हैं। ऐसे 4 रैक के 78 कोच में कुल 1280 बेड उपलब्ध कराए गए हैं। हर बेड ऑक्सीजन सिलेंडर से अटैच है। सभी कोच में एयर कूलर लगाने के साथ खिड़कियों में भी परदे लगाए गए हैं। कोच ठंडे रखने के लिए सभी इंतजाम किए गए है। इसके अलावा प्रशासन के अधिकारियों द्वारा सुझाए गए बदलाव भी कोच में कर दिए गए। पानी व शौचालय का भी प्रत्येक कोच में बेहतर इंतजाम है। पिछले दिनों 1280 बेड वाले ये सारे कोच महू एसडीएम के जरिए जिला प्रशासन को सुपुर्द कर दिए गए थे।
केवल 14 मरीज अभी तक रखे गए हैं इन कोच में।
हैरत की बात ये है कि प्रशासन पंचायत स्तर पर कोविड केअर सेंटर बनाने की कवायद में जुटा है लेकिन टीही में खड़े इन रेलवे आइसोलेशन कोच का उपयोग करने की ओर उसका ध्यान ही नहीं है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभीतक महज 14 मरीजों को ही इन कोचेस में रखा गया है, इनमें से भी आधे से ज्यादा डिस्चार्ज होकर घर लौट गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मिल रहे और बाहर से आने वाले बिना या हल्के लक्षण वाले मरीजों को इन कोचेस में रखा जाए तो बेड की कोई कमी नहीं होगी। प्रशासन को केवल वहां डॉक्टर्स, पैरामेडिकल व सपोर्टिंग स्टाफ को तैनात करने की जरूरत है। अन्य स्थानों पर नए सिरे से कोविड सेंटर खोलने की बजाए प्रशासन को चाहिए कि इन आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल करें। अगर इंदौर जिला प्रशासन को इनकी जरूरत नहीं है तो आसपास के जिलों के कोविड मरीजों को यहां रखा जा सकता है।