♦️ नरेंद्र भाले ♦️
पहली बार ऐसा हुआ की मुंबई पोलार्ड के टेके के बगैर भी अच्छी बल्लेबाजी कर सकती है। डिकॉक तथा रोहित शर्मा अच्छी पारियां खेलकर विदा हो गए लेकिन पावर प्ले में 57 रन मायने रखते हैं। रोहित (35 )के अलावा ईशान किशन( 0 )को श्रेयस गोपाल ने अपनी फिरकी में उलझा लिया। पदोन्नत किए गए क्रुणाल पांड्या असफल रहे। लेकिन एक छोर पर सूर्यकुमार यादव अपनी टीम की धुरी बनी रहे तो दूसरी तरफ हार्दिक पांड्या सदाबहार दिखे। इन दोनों की साझेदारी से लगने लगा कि मुंबई फिर से 200 पार होगी। अचानक ही आचर का 150 की रफ्तार से फेंका गया बाउंसर सूर्यकुमार के हेलमेट से टकरा गया। ऐसा लगा कि इस झटके से सूर्या चकरा जाएंगे लेकिन अगली ही गेंद पर विकेटकीपर के सिर के ऊपर से लगाया गया बेहद आकर्षक छक्का उनकी मानसिक मजबूती को उजागर कर गया। आर्चर की रफ्तार पर उनके अफलातून नियंत्रण से सभी दंग रह गए सूर्या (79) तथा हार्दिक (30 )की नाबाद साझेदारी मुंबई को 193 तक ले गई। मुंबई द्वारा उडाए गए 8 छक्के उनके तेवर के साथ न्याय नहीं करते। केवल श्रेयस गोपाल( 2 – 20) ने प्रभावित किया। बेचारे पोलार्ड पैड बांधे ही रह गए।
जैसे पूत के पांव पालने में दिखते हैं वैसा ही हाल राजस्थान का आगाज में रहा। बोल्ट ने दूसरी ही गेंद पर यशस्वी जायसवाल को खाता भी खोलने नहीं दिया। ऐसा ही हाल उन्होंने संजू सैमसन का भी किया। पहले दो मैचों में बेहतरीन अर्धशतक जमाने वाले संजू बाद के तीन मैचों में पूरी तरह फ्लॉप रहे। पहली बार रोहित ने बुमराह को दूसरा ओवर थमाया और उन्होंने कप्तान स्मिथ के रूप में बटका भर लिया। पावर प्ले में मात्र 31 रनों की जमा पूंजी मैं तीन दिग्गज बल्लेबाज खेत रहे। इतने दबाव में एकमात्र योद्धा के रूप में जोस बटलर ने उम्दा आक्रमण का जवाब तूफानी अंदाज में दिया। 44 गेंदों में पांच छक्कों की मदद से 77 रनों की उनकी पारी मुंबई की सांसों को ऊपर नीचे कर रही थी। भला हो पोलार्ड का जिन्होंने सीमा रेखा पर अपनी ऊंचाई का पूरा फायदा उठाते हुए लगभग 9 फीट ऊंचाई का कैच दूसरे प्रयास में पकड़ लिया और राजस्थान के ताबूत में अंतिम कील ठोक दी।
वापस बुमराह पर आते हैं , पहली बार वे लय में नजर आए और उन्होंने स्मिथ के अलावा छक्का मास्टर तेवतिया, आर्चर तथा श्रेयस गोपाल जैसी संभावनाओं को समाप्त कर दिया। राजस्थान की पारी में बटलर के अलावा कुछ भी उल्लेखनीय नहीं था। वास्तव में बोल्ट ने पहला दांत लगाया और बुमराह ने दिग्गजों की दावत उड़ाई। जसप्रीत राजस्थान के लिए बुमराह नहीं बल्कि गुमराह साबित हुए। वास्तव में लय में गेंद बाजी की जाए तो बल्लेबाज गलतियां करने पर मजबूर हो जाते हैं , राजस्थान इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।