लोकोत्सव में लावणी की प्रस्तुति पर झूमे दर्शक

  
Last Updated:  December 29, 2022 " 11:12 pm"

भरतनाट्यम, गुजराती आदिवासी ढोल, ढोल कुनीथा, की रही धूम।

लोकोत्सव में होगी सांसद खेल प्रतियोगिताएं।

इंदौर : मां अहिल्या की नगरी इंदौर में मालवा उत्सव के तहत लालबाग में मनाए जा रहे लोकोत्सव में सांसद खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें कबड्डी, खो खो एवं सितोलिया जैसे देशी खेल खेले जाएंगे। लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि यह स्पर्धाएं सुबह 8:00 बजे से प्रारंभ होंगी, जिनमें कबड्डी की 12 और खो खो की 12 टीमें शामिल होंगी। लोकोत्सव की सांस्कृतिक संध्या 31 दिसंबर तक रहेगी वही शिल्प मेला 1 जनवरी तक चलेगा।

लावणी ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया।

लोक संस्कृति मंच दीपक लंवगड़े एवं विशाल गिदवानी ने बताया कि सांस्कृतिक संध्या में महाराष्ट्र से आए कलाकारों ने लयबद्ध व श्रुंगारिक भाव को प्रदर्शित करते प्रसिद्ध लोक नृत्य लावणी की मनोहारी प्रस्तुति दी। लावणी, महाराष्ट्र की लोक नृत्य शैली तमाशा का अभिन्न अंग है। इस नृत्य ने उपस्थित दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कर्नाटक से आए कलाकारों ने ढोल कुनिथा नृत्य लयबद्ध रूप से ढोल बजाकर उछल उछल कर प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्होंने पिरामिड बनाकर सबको अचंभित कर दिया। गुजरात के आदिवासी ढोल नृत्य जिसमें ढोल डांस मोहाली आदि वाद्य यंत्रों का प्रयोग करके आदिवासी जनजाति द्वारा हाथों में हाथ डालकर नृत्य किया गया। यह नृत्य वैवाहिक प्रसंग, होली, दिवाली एवं प्रकृति पूजा के अवसर पर किया जाता है। महिलाओं द्वारा इसमें पीली धोती एवं पुरुषों द्वारा सफेद पहना गया था। वरदा कला संस्थान द्वारा निर्मल वनवासी भक्ति धारा भरतनाट्यम नृत्य नाटिका का मंचन किया गया।सच्चे सरल वनवासियों के पौराणिक आख्यानों पर आधारित भाव व भक्तियुक्त नृत्य नाटिका सबका मन मोह गई। इसमें शबरी, भील भीलनी, निषाद राज के प्रसंगों की प्रस्तुतियां दी गई ।गणेश वंदना, श्री राम स्तुति, शंभू महादेव कृति, व नाटेश कौट्टूवम द्वारा वनवासी जातियों के भावों को गहराई से मंचित किया गया। स्थानीय कलाकार नव्या चौरसिया द्वारा भी कत्थक के माध्यम से सुंदर प्रस्तुति दी गई।

लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा, रितेश पिपलिया एवं निवेश शर्मा ने बताया कि 30 दिसंबर को शिल्प बाजार का प्रारंभ दोपहर 12:00 बजे से होगा।इसी दिन सुबह खेल उत्सव आयोजित होगा। सायंकाल 7:30 बजे से सांस्कृतिक संध्या जिसमें कोली, गुजराती ढोल नृत्य, ढोल कुनिथा, राम ढोल एवं स्थानीय कलाकारों द्वारा लोक नृत्य पेश किए जाएंगे।

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