इंदौर : कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच WHO द्वारा घोषित एक और महामारी मंकीपॉक्स ने भी भारत में दस्तक दे दी है। अभी तक करीब 60 देशों में इसका वायरस पैर पसार चुका है। भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस केरल के कोलम जिले में मिला है। यह व्यक्ति चार दिन पूर्व याने 12 जुलाई को ही यूएई से लौटा है। पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में उक्त व्यक्ति के सैंपल की जांच में मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि हुई। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मई के बाद से अभी तक मंकीपॉक्स के 63 देशों में 9 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।
मंकीपॉक्स किस तरह का वायरस है, इसके लक्षण, कारण, बचाव और उपचार को लेकर हमने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के एचओडी मेडिसिन डॉ. वीपी पांडे से चर्चा की।
स्मॉल पॉक्स की तरह वायरस जनित हैं मंकीपॉक्स ।
डॉ. पांडे ने बताया कि करीब चार दशक पहले स्मॉल पॉक्स नामक बीमारी पाई जाती थी, उसमें शरीर पर फफोले हुआ करते थे, उनमें पानी भरता था और संक्रमण पैदा करता था। चेहरा, आंख और हाथों को यह बीमारी प्रभावित करती थी। आंखों की रोशनी भी स्मॉल पॉक्स से प्रभावित होती थी। मंकीपॉक्स भी उसीतरह के वायरस से होने वाला वायरस जनित रोग है। पहले यह केवल अफ्रीकी देशों तक सीमित था, अब इसका फैलाव भारत सहित दुनिया के कई देशों में हो रहा है।
कोरोना वायरस से तुलना नहीं।
डॉ. पांडे ने कहा कि मंकीपॉक्स की कोरोना वायरस से तुलना नहीं है। कोरोना वायरस नया म्यूटेंट था जबकि मंकीपॉक्स जाना – पहचाना पुराना वायरस है।
चेचक के समान होते हैं लक्षण।
मनुष्यों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान लेकिन हल्के होते हैं। इसके आम लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और गले में सूजन आदि शामिल हैं।इसमें हाथों में चकते पड़ने लगते हैं, फफोले उभरते हैं और उनमें पानी भरने के साथ संक्रमण होने लगता है।
संक्रामक रोग है मंकीपॉक्स।
डॉ. पांडे ने बताया कि मंकीपॉक्स के फैलाव को देखते हुए ही WHO ने अलर्ट भी जारी किया है। यह संक्रामक रोग है, इससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आनेवाले को इसका संक्रमण हो सकता है। यह हवा से फैलने वाला वायरस नहीं है। यही कारण है कि मंकीपॉक्स से ग्रसित व्यक्ति को 21 दिन तक आईसोलेशन में रखा जाता है। इस अवधि में मंकी पॉक्स से संक्रमित व्यक्ति संक्रमण से मुक्त हो जाता है। उसके फफोले सूख जाते हैं और सूखी चमड़ी भी निकल जाती है।
मंकीपॉक्स की कोई वैक्सीन नहीं है।
डॉ. पांडे के अनुसार मंकीपॉक्स की कोई तयशुदा दवाई अथवा वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। बचाव ही इसका उपचार है। मंकीपॉक्स से ग्रसित व्यक्ति को एंटीबायोटिक, बुखार की दवाई आदि देकर तकलीफ से राहत पहुंचाई जाती है और आइसोलेशन में रखा जाता है ताकि दूसरों में संक्रमण न फैले। जो भी व्यक्ति मंकीपॉक्स से ग्रसित हो, उससे दूरी बनाकर इस वायरस जनित बीमारी से बचा जा सकता है।