वार्ड चुनाव में फेल साबित हुआ कमलनाथ का चुनाव मैनेजमेंट

  
Last Updated:  June 18, 2023 " 02:03 pm"

🟢 चुनावी चटखारे 🟢

(कीर्ति राणा)मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 28 जीतने के बाद भी भाजपा की आंखों में छिंदवाड़ा सीट की हार लंबे समय से खटक रही है। जब कमलनाथ सीएम बने तो इस अपराजेय सीट से नकुल नाथ सांसद बन गए थे।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस बार कर्नाटक से भी अधिक ताकत से छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर कमल खिलाने का संकल्प ले चुके हैं।उनके संकल्प सिद्धी की शुरुआत छिंदवाड़ा नगर पालिका के एक वार्ड के उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत से हो गई है। वार्ड क्रमांक 42 में भाजपा प्रत्याशी संदीप सिंह चौहान ने कांग्रेस के राजू स्वामी को 436 वोट से हराया है। वैसे यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है, कमलनाथ के साथ ही महापौर विक्रम आहके, निगम अध्यक्ष सोनू मांगो सहित कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने मोर्चा संभाला था। उन्हें वार्ड न छोड़ने के विशेष दिशा-निर्देश दिए गए थे। इसके बाद भी कांग्रेस को यहां एकतरफा हार मिली। इससे पूरे चुनाव मैनेजमेंट पर सवालिया निशान लग गया है।दूसरी तरफ भाजपा खेमा तो इतना खुश है कि बस अब छिंदवाड़ा भी जीत ही लेंगे।

सागर में भूपेंद्र सिंह दबदबा।

मुख्यमंत्री के खास-मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सागर के दो वार्डों के उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों की जीत से संगठन को संदेश दे दिया है कि वे महाकाल लोक मूर्तियों के ध्वस्त मामले में डेमेज कंट्रोल के साथ ही सागर में चुनावी मैनेजमेंट में भी उतने ही एक्सपर्ट हैं।इन दो वार्डों में भाजपा के प्रत्याशियों की जीत तब हुई है जब प्रचार के लिए खुद भूपेंद्र सिंह ही वक्त नहीं दे पाए। इसके ठीक विपरीत छिंदवाड़ा के एक वार्ड में जीत के लिए कमलनाथ-कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी थी, फिर भी कमल खिल गया।

भोलेभाले शंकर..!

केंद्र सरकार ने 2017 से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू किया है। तब से अब तक नियमों की विसंगति का स्थायी हल नहीं निकलने से व्यापारिक संगठन परेशान हैं।केंद्र द्वारा लागू इस कानून से व्यापार करने में आ रही दिक्कतों में अब उन्हें सांसद शंकर लालवानी का साथ भी मिल गया है।व्यापारियों की परेशानी दूर हो जाएगी इस विश्वास के साथ उन्हें जीएसटी आयुक्त लोकेश जाटव के पास लेकर पहुंच गए।आयुक्त जीएसटी कैसे मानें की नियमों में खामी हैं, अपने अंदाज में जिस तरह समझाया व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों को भी लग गया कि इस तरह की मुलाकातों से तो हल निकलना नहीं है।

शिकायतें हैं कि कम ही नहीं हो रहीं।

सिंधिया के कोटे वाले मंत्रियों की शिकायतें सुन सुन कर प्रदेश संगठन प्रभारी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सरकार के मुखिया के कान पकने लग गए हैं।ताजा मामला कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी का है।उन्होंने जिले के प्रभारी-सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया की क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप, काम में अड़गेबाजी की शिकायत कर डाली है। तिवारी ने तो यहां तक कह दिया है कि क्षेत्र की जनता हमसे अपेक्षा रखती है।मंत्रीजी प्रभारी बने रहें लेकिन यह भी न भूलें कि क्षेत्र के विधायक हम हैं।

सतपुड़ा की आग में अफसर बेदाग…!

कितनी फाइल जली, कितनी बचीं इसका आंकलन करने का काम तो चल रहा है, कर्मचारियों के बयान, जांच आदि का सिलसिला भी शुरु हो गया है लेकिन तमाम बड़े अधिकारी निश्चिंत हैं कि उनका कुछ नहीं होना है।चुनाव नजदीक हैं। बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई का मतलब है बैठे ठाले आईएएस लॉबी की नाराजी मोल लेना और जब सुगबुगाहट नया भवन बनाने की चल रही हो तो आईएएस ही तो बताएंगे नए भवन निर्माण के लिए भारी भरकम राशि क्यों जरूरी है।

आवाज तुम्हारी, बोल हमारे।

मुख्यमंत्री जिस तरह से हर आयोजन में घोषणा कर के एकत्रित समूह का दिल जीतने में लगे हैं उसका राज धीरे धीरे कार्यकर्ताओं को भी समझ आने लगा है।पार्टी के नेता यह स्वीकारने से नहीं हिचकते कि अब आरएसएस ने मैदानी दौड़धूप करने के लिए मुख्यमंत्री को खुला छोड़ दिया है और सत्ता सूत्र संघ नेताओं ने हाथ में ले लिए हैं। कब कौनसा सम्मेलन होगा, कब किस समाज की पंचायत होगी, कब किसानों के हित की घोषणा होगी-ऐसे हर दिन का कैलेंडर फायनल कर थमा दिया जाता है। उसी मुताबिक कार्यक्रम और संबंधित समाज का दिल जीतने वाली घोषणाओं की बारिश होने लग जाती है।

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