हमें अपनी ताकत को पहचानना होगा और परिवेश में सुधार करना होगा – काकोडकर।
इंदौर : परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष पद्म भूषण डॉ. अनिल काकोडकर का कहना है कि दूसरे को कॉपी करके हम भारत को विकसित नहीं बना सकते। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमें अपनी ताकत को पहचानना होगा और परिवेश में सुधार करना होगा।
परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोडकर जल सभागृह में अभ्यास मंडल की 64 वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यान माला में ‘मेरे सपनों का विकसित भारत’ विषय पर बोल कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन इतिहास और समृद्ध संस्कृति रही है। कई सभ्यता और संस्कृतियां आई व चली गई लेकिन हमारी संस्कृति कायम रही। विकसित भारत के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि भारत एक समाज – एक देश के रूप में सशक्त, सक्षम और विकसित हो। भारत सशक्त है इसका उदाहरण हम इस समय पर महसूस कर रहे हैं। हमने बहुत प्रगति की है। हमारा लक्ष्य यह है कि हमारी गणना दुनिया के अग्रिम देश के रूप में हो। इस स्थान पर पहुंचने के लिए लंबा सफर अभी तय करना है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के लोगों का जीवन स्तर दुनिया के विकसित देश के लोगों के जीवन स्तर के समान होना चाहिए। आज दुनिया के सबसे ज्यादा अमीर लोग हमारे देश में रहते हैं लेकिन हमारा देश गरीब है। हमारे देश में आम आदमी का जीवन स्तर अमेरिका में रहने वाले व्यक्ति के जीवन स्तर के समान नहीं है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। औद्योगिक क्षेत्र और कृषि के क्षेत्र में भी हमारा उत्पादन का स्तर अच्छा है। इन सब अच्छाइयों के बीच में हमारे समाज में विषमता भी बढ़ रही है। ऐसे में आर्थिक विकास की अवधारणा पर फिर से विचार करना जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा कि देश की आबादी के एक प्रतिशत नागरिक का देश की इनकम में शेयर 22% है। देश की आबादी के 0.1% व्यक्ति का इस आय में शेयर 10% है। हमारे देश में शहर और गांव की आय में भी बड़ा अंतर है। वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार शहर की तुलना में गांव में कमाई आधी है। यह हकीकत है कि हमारे देश की ज्यादा आबादी में गांव में रहती है। यह स्थिति सामाजिक अस्थिरता का बड़ा कारण बन सकती है। गांव से बड़ी संख्या में नागरिकों का शहर की ओर पलायन करना चिंता का विषय है। तकनीक का विकास जरूरी है क्योंकि वही सक्षम बनाती है। मानव के पोषण की क्षमता को बढ़ाती है। हमें मानवीय मूल्य के विकास को बनाना होगा। अपने साथ अपने आसपास के क्षेत्र के बारे में भी विचार करना होगा। मानवीय मूल्य और पाशविक मूल्य के अंतर को समझना होगा। समाज के विकास के लिए अच्छी शिक्षा आवश्यक है। यह शिक्षा स्कूल और कॉलेज की शिक्षा नहीं है बल्कि घर और आसपास के वातावरण से मिलने वाली शिक्षा है। श्री काकोडकर ने कहा कि ऊर्जा संपन्न देश ताकतवर और संपन्न देशों की श्रेणी में आते हैं। हमें भी ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रयास करने होंगे। इसके लिए न्यूक्लियर एनर्जी ही एकमात्र विकल्प है। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि का स्वागत एन के उपाध्याय, मुरली खंडेलवाल, गजेंद्र सिंह धाकड़, श्रेया बारपुते, मेघना राज और आदित्य सिंह सेंगर ने किया। कार्यक्रम का संचालन स्वप्निल व्यास ने किया। अतिथि को स्मृति चिन्ह नंदलाल मोगरा और अशोक जायसवाल ने भेंट किया। अंत में आभार इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने माना।