विजन और विश्वसनीयता के साथ किया जा सकता है सोशल मीडिया की चुनौती का मुकाबला

  
Last Updated:  April 10, 2022 " 04:27 pm"

इंदौर प्रेस क्लब के 60 वे स्थापना दिवस पर वक्ताओं ने रखे विचार

राजेन्द्र माथुर की स्मृति में “सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया कैसे बचाए अपना वजूद” विषय पर रखा गया था व्याख्यान।

बुजुर्ग पत्रकारों का किया गया सम्मान।

इंदौर : पहले दुनिया विचारों से बदलती थी। फ्रांस की क्रांति से लेकर गांधीवादी युग इसके प्रमाण हैं। लेकिन वैश्वीकरण के दौर में अब तकनीकि क्रांति देश और दुनिया को बदल रही है।पहले काशी, प्रयाग, पाटलिपुत्र, इंदौर व पुणे जैसे सांस्कृतिक रोशनी के केंद्र बदलाव के वाहक हुआ करते थे लेकिन अब सिलिकॉन सिटी, बंगलुरू जैसे तकनीकि केंद्र बदलाव ला रहे हैं। प्रिंट मीडिया की अपनी जवाबदेही होती है पर सोशल मीडिया किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है। इस अराजक आजादी में निहित खतरे को देखते हुए दुनिया के कई देश इसके नियमन को लेकर कदम उठा रहे हैं। ये बात राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कही। वे इंदौर प्रेस क्लब के 60 वे स्थापना दिवस समारोह के तहत आयोजित राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। विषय था “सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया कैसे बचाए अपना वजूद।”

राजेन्द्र माथुर की दृष्टि में निहित है चुनौतियों का समाधाम।

श्री हरिवंश ने कहा कि दूरियों के सिमटने के इस दौर में गांव भी ग्लोबल हो गए हैं। तकनीकि क्रांति से अस्तित्व में आए सोशल मीडिया से मिल रही चुनौतियों से निपटने का रास्ता मूर्धन्य पत्रकार स्व. राजेन्द्र माथुर की दृष्टि में, उनके विचारों में निहित है। श्री माथुर ने उनके समय की चुनौतियों को परख कर विजन और विश्वसनीयता के साथ उनका सामना किया। अगर हम उनसे प्रेरणा लेकर वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला करें तो अपने वजूद को बचाने के साथ उसे बेहतर मुकाम दे सकते हैं।

मोबाइल हाथ में आ जाने से दुनिया नहीं बदलती।

दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने स्व. राजेन्द्र माथुर को याद करते हुए कहा कि पत्रकारिता का ककहरा उन्होंने श्री माथुर के सान्निध्य में ही सीखा। उनके साथ नईदुनिया व नवभारत टाइम्स में काम करने का मौका मिला। आलोक मेहता ने कहा कि श्री माथुर ने उन्हें सदैव प्रोत्साहित किया और नवाचार करने की छूट दी। श्री मेहता ने कहा कि सोशल मीडिया से प्रिंट मीडिया के अस्तित्व पर खतरे की बात कहना सही नहीं है। हर हाथ में मोबाइल आने का अर्थ यह नहीं होता कि उसे सारी चीजों की समझ आ गई। जो यह सोचते हैं कि मोबाइल से सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचा जा सकता है, वे गलतफहमी में है। प्रिंट मीडिया की अपनी विश्वसनीयता है।स्थानीय खबरों और मुद्दों को तरजीह देकर इस दौर में भी चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है।

कई देश मानते हैं कि प्रिंट मीडिया खतरे में हैं।

इसके पूर्व INH हरिभूमि के प्रधान संपादक हिमांशु द्विवेदी ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने कहा कि सन्दर्भित विषय बेहद प्रासंगिक है। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया के समक्ष चुनौती बनकर खड़ा हो गया है, ये बात सही है। कई देशों में तो यह माना जाने लगा है कि निकट भविष्य में प्रिंट मीडिया का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। श्री द्विवेदी ने कहा आरएनआई और एबीसी के आंकड़ों में पत्र- पत्रिकाओं की प्रसार संख्या के लिहाज से तो प्रिंट मीडिया की हालत बेहद सुदृढ नजर आती है पर हकीकत इससे कोसों दूर है। कई ऐसे बड़े अखबार व पत्रिकाएं, जिनकी एक समय तूती बोलती थी, बीते एक दशक में बंद हो चुके हैं। इससे समझा जा सकता है कि संकट कितना गहरा है। सोशल मीडिया के दौर में नई पीढ़ी की रुचि अखबार पढ़ने में कम हुई है, इसे नकारा नहीं जा सकता। जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आया था तो वह भी प्रिंट के लिए चुनौती बना था पर अखबारों ने नवाचारों के जरिए उंसका मुकाबला किया और अपनी महत्ता को बनाए रखा पर सोशल मीडिया की चुनौती कहीं बड़ी है। सोशल मीडिया के चलते खबरों और तथ्यों की विश्वसनीयता दांव पर लगी है। ऐसे में प्रिंट मीडिया के पास विश्वसनीयता, वह औजार है जिसके जरिए वह पाठकों को भरोसा दिला सकता है कि अखबार में छपी खबर पर सन्देह नहीं किया जा सकता। हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि अखबार जिंदा रहे, उसकी विश्वसनीयता कायम रहे, इसकी जिम्मेदारी पाठकों की भी है। अगर पाठक जागरूक हो जाएं तो प्रिंट मीडिया के वजूद को कोई मिटा नहीं सकता।

बुजुर्ग पत्रकारों का किया गया सम्मान।

समारोह में इंदौर के ऐसे पत्रकारों का सम्मान किया गया जिन्होंने अपने जीवन के 50 वर्ष या अधिक समय सक्रिय पत्रकारिता में गुजारे हैं, उन्हें अंगवस्त्र और प्रशस्ति पत्र भेंटकर राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश, वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता, आईएनएच हरिभूमि के प्रधान संपादक हिमांशु द्विवेदी, सांसद शंकर लालवानी, पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे और देवी अहिल्या विवि की कुलपति रेणु जैन ने सम्मानित किया। वयोवृद्ध समाजसेवी आनंद मोहन माथुर भी इस दौरान मौजूद रहे। उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब के 60 वे स्थापना दिवस पर अपनी शुभकामनाएं भी व्यक्त की।
जिन पत्रकारों को सम्मानित किया गया, उनमें पद्मश्री अभय छजलानी, विमल झांझरी, बृजभूषण चतुर्वेदी,कृष्णकुमार अष्ठाना, मदनलाल बम, शशिकांत शुक्ल, चंदू गुप्ता, श्रीकृष्ण बेडेकर, विद्यानंद बाकरे, दिलीप गुप्ते, उमेश रेखे, सुरेश ताम्रकर, महेश जोशी, बहादुर सिंह गेहलोत, श्रवण गर्ग, रवींद्र शुक्ला, कृष्णचन्द्र दुबे, सतीश जोशी, विक्रम कुमार, चंदू जैन और गजानन वर्मा शामिल थे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। अतिथि स्वागत अरविंद तिवारी, हेमंत शर्मा, प्रदीप जोशी, संजय त्रिपाठी, राहुल वाविकर, क्रांति चतुर्वेदी, दीपक कर्दम, अंकुर जायसवाल, अभिषेक मिश्रा, रमन रावल और अनिल त्यागी ने किया। उपसभापति हरिवंश का स्वागत संस्थाओं की ओर से रामेश्वर गुप्ता, ओमप्रकाश नरेडा और अन्य विशिष्टजनों ने किया।
स्वागत भाषण इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने देते हुए प्रेस क्लब के 60 साल के गौरवमयी सफर पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने किया। आभार प्रेस क्लब के महासचिव हेमंत शर्मा ने माना।

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