बिखरी – बिखरी नजर आई कांग्रेस, कमलनाथ की रैली में नहीं पहुंचे चिंटू चौकसे और जीतू पटवारी।
इंदौर : मप्र में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन दाखिल करने का सोमवार 30 अक्टूबर को अंतिम दिन था। इसके चलते कांग्रेस व बीजेपी ने अपने – अपने प्रत्याशियों के साथ राजवाड़ा से कलेक्टर कार्यालय तक रैलियां निकाली। एक तरह से दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए यह शक्ति प्रदर्शन का भी अवसर था पर हैरत की बात ये रही की बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस की रैली पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमलनाथ की मौजूदगी के बावजूद फ्लॉप शो साबित हुई। शीर्थ नेताओं के बीच चल रही तनातनी की छाप रैली पर भी नजर आई। कुछ प्रत्याशी तो रैली में पहुंचे ही नहीं।वे अपनी झांकी अलग जमाते रहे। हालात ये रहे कि राजवाड़ा से निकली इस रैली में नौ विधानसभाओं से हजार कार्यकर्ता भी नहीं जुट पाए।
गिनती के कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे प्रत्याशी।
राजवाड़ा से कांग्रेस की रैली के लिए सुबह 10 से दोपहर सवा 12 बजे तक का समय तय था। कार्यकर्ता राजवाड़ा पर जुटे तो थे पर उनकी तादाद बेहद कम थी। अखरने वाली बात ये थी कि कांग्रेस के प्रत्याशी खुद तो पहुंच गए पर उनके साथ कार्यकर्ता गिनती के ही थे। विधानसभा 01 के कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला, तीन के प्रत्याशी पिंटू जोशी, पांच के सत्यनारायण पटेल और देपालपुर के उम्मीदवार विशाल पटेल दमदार होने के बावजूद कार्यकर्ताओं की भीड़ नहीं जुटा पाए। विधानसभा 02 के प्रत्याशी चिंटू चौकसे और राऊ के प्रत्याशी जीतू पटवारी ने तो कमलनाथ की रैली से ही दूरी बना ली। जब कमलनाथ राजवाड़ा पहुंचे, उससमय भी कार्यकर्ताओं की तादाद पांच – सात सौ से ज्यादा नहीं थी। अहिल्या उद्यान में देवी अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद कमलनाथ एक सुसज्जित वाहन में कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ सवार हुए और लोगों का अभिवादन करते हुए रैली के रूप में कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ गए। रैली के समापन पर उन्होंने सभा को संबोधित किया। उसमें भी भीड़ नहीं जुट पाई।
चिंटू और जीतू ने अलग रैलियां की।
कमलनाथ की अगुवाई में निकली रैली में भीड़ नहीं जुट पाई उसके जिम्मेदार भी कांग्रेस संगठन और प्रत्याशी ही रहे। विधानसभा 02 के कांग्रेस प्रत्याशी चिंटू चौकसे ने अपनी झांकी जमाने के लिए अलग से रैली निकाली। वे वाहनों के काफिले के साथ दोपहर करीब डेढ़ बजे राजवाड़ा होते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। राजवाड़ा पर तो उनका बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ टकराव भी होते – होते बचा। उधर राऊ विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी जीतू पटवारी ने भी कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकाली। उनकी रैली में हजारों कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे पर कमलनाथ से पटरी न बैठने के कारण उन्होंने भी कमलनाथ की रैली से दूरी बनाए रखी। इसका नतीजा ये रहा कि कांग्रेस ऐन चुनाव के मौके पर बिखरी – बिखरी नजर आई। कमलनाथ की मौजूदगी का भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ और अपने पक्ष में माहौल बनाने से कांग्रेस चूक गई। असल में चुनाव की दृष्टि से अगले 10 दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। कांग्रेस के पास स्टार प्रचारकों की वैसे ही कमी है, जो भीड़ जुटा सकें, ऐसे में कमलनाथ की रैली और सभा का फ्लॉप होना उसके लिए चिंता का सबब बन गया है।