समाज को चैतन्य बनाने के लिए सन्त सम्मेलन जैसे आयोजन जरूरी- शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ

  
Last Updated:  December 23, 2021 " 06:59 pm"

इंदौर : भारतीय संस्कृति बहुत व्यापक और गहरी है। घर-परिवार से लेकर देश के प्रमुख मुद्दों में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। संस्कृति केवल मनुष्यों की होती है, पशुओं की नहीं। पशुओं का न तो कोई धर्म होता है, और न ही संस्कृति। संत सम्मेलन जैसे आयोजनों के माध्यम से सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को उठाने और समाज को चैतन्य बनाने की जरुरत है। यहां से उठाई गई चेतना सारे देश में पहुंचना चाहिए। आज देश को सामाजिक एकता की भी जरुरत है। देश को समृद्ध और संस्कृति के अनुरूप बनाने के लिए हर क्षेत्र में निरंतर सेवा कार्य करने की जरूरत है।

ये प्रेरक विचार जगदगुरु शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने व्यक्त किए। वे बुधवार शाम बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 54वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन की धर्मसभा में बोल रहे थे। सांसद शंकर लालवानी एवं समाजसेवी विष्णु बिंदल का सम्मान भी सम्मेलन में शंकराचार्यजी के सान्निध्य में किया गया। चित्रकूट पीठाधीश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी दिव्यानंद महाराज की अध्यक्षता में संत सम्मेलन में गोधरा से आई साध्वी परमानंदा सरस्वती, महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी चेतन स्वरूप, चौबारा जागीर के वेदांत भूषण स्वामी नारायणनानंद, हंसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी राधे-राधे बाबा, पं. पवनदास शर्मा, सारंगपुर की साध्वी अर्चना दुबे आदि ने अपने उदबोधन में धर्म, संस्कृति, गौरक्षा एवं अन्य मुद्दों पर प्रभावी विचार रखे। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष हरि अग्रवाल, दीपक जैन ‘टीनू’, बालकृष्ण छाबछरिया, विजयसिंह परिहार, सचिन सांखला, सरस्वती पेंढारकर, निरंजनसिंह चौहान ‘ गुड्डू’, गोविंद पंवार, किरण ओझा, मोहनलाल सोनी आदि ने संत-विद्वानों एवं अतिथियों का स्वागत किया। सांसद शंकर लालवानी ने इस अवसर पर करतल ध्वनि के बीच बताया कि उनकी दिल्ली में रेलमंत्री से मुलाकात हुई है। रेल मंत्रालय जल्द ही इंदौर के रेलवे स्टेशन का विकास भी विमानतल की तर्ज पर करने जा रहा है। इसमें बस स्टैंड, मेट्रो और रेलवे, तीनों को आपस में जोड़ने की योजना बनाई जा रही है। अधिकारियों के साथ बैठक के बाद इस योजना को मूर्त रूप दिया जा सकेगा।

पंचगव्य, गाय एवं गोबर की उपयोगिता पर कार्यशाला।

प्रदर्शनी – संत सम्मेलन में जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ के सान्निध्य में संस्था सामाजिक सरोकार की प्रमुख सरस्वती पेंढारकर ने पंचगव्य, गाय एवं गोबर की उपयोगिता पर प्रभावी व्याख्यान देते हुए कहा कि गाय के गोबर से बने गणेशजी को घर के दरवाजे के पीछे स्थापित करने से बुद्धि स्थिर होती है। मिट्टी के साथ गोबर मिलाकर घर में लीपन करने से अनेक संक्रामक रोगों के जीवाणु नष्ट होते हैं। प्रत्येक हिन्दू को एक गाय जरूर पालना चाहिए, लेकिन शहरीकरण के चलते यदि गाय नहीं पाले तो कम से कम एक रोटी जरूर प्रतिदिन गाय के लिए बनाएं। घर की माता, गौमाता और धरती माता- इन तीनों के समन्वय से हम प्रकृति केन्द्रित पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं। उन्होंने गोबर से गणेशजी, दीपक, चौकी, बाजोट, मोबाइल स्टैंड आदि बनाने का प्रशिक्षण भी दिया और निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई, जिसका अवलोकन सांसद शंकर ललवानी सहित सभी संतों एवं भक्तों ने भी किया। शंकराचार्यजी ने भी गाय की महत्ता पर प्रकाश डाला।

आज लव जिहाद पर प्रशिक्षण।

संत सम्मेलन में गुरुवार 23 दिसम्बर को दोपहर 3 बजे से लव जिहाद पर लोकमान्य विद्यालय एवं अन्य कोचिंग क्लासेस के स्कूली बच्चों और युवा छात्र-छात्राओं के लिए व्याख्यान का कार्यक्रम भी रखा गया है। अध्यक्ष हरि अग्रवाल एवं सरस्वती पेंढारकर ने बताया कि इस अवसर पर वैदिक उपासना पीठ की साध्वी तनूजा ठाकुर के मार्गदर्शन में बच्चों को लव जिहाद से जागरुक करने और संभावित खतरों से बचाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

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