समाज व सरकार के परस्पर सहयोग से ही किया जा सकता है कोरोना संकट का सामना- शिवराज

  
Last Updated:  April 21, 2021 " 12:43 pm"

इंदौर : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड संकटकाल का सामना सरकार और समाज के परस्पर सहयोग से संभव है। मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेश में स्वयंसेवी संगठनों द्वारा कोविड केयर सेंटर स्थापित करने के लिए की जा रही व्यवस्था तथा अन्य नवाचारों के लिए आभार माना। इस प्रकार की अभिनव पहल से कोविड की विकट परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिलेगी और समाज में सकारात्मकता के भाव का विस्तार होगा। राज्य शासन इन संस्थाओं को हर संभव सहयोग देने के लिए सदैव तत्पर है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि चिकित्सकों और उनकी टीम ने कोविड संक्रमण का सामना हिम्मत, सेवाभाव और सहयोग से किया है। इससे लोगों का विश्वास बढ़ा है। मुख्यमंत्री चौहान अपने निवास से स्वयंसेवी संगठनों और वरिष्ठ चिकित्सकों से वर्चुअली संवाद कर रहे थे।

चिकित्सकों से किया संवाद।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राधास्वामी सत्संग व्यास और अन्य संगठनों की पहल से इन्दौर में विकसित हुए माँ अहिल्याबाई कोविड केयर सेंटर, उज्जैन में सिटीजन फोरम फॉर कोविड रिस्पांस द्वारा संचालित कोविड केयर सेंटर, जबलपुर में दादा वीरेन्द्र पुरी जी नेत्र संस्थान द्वारा संचालित कोविड चिकित्सालय और भोपाल में सागर समूह द्वारा विकसित किए जा रहे कोविड केयर सेंटर के लिए इन संस्थाओं का आभार माना। मुख्यमंत्री चौहान ने इन संस्थाओं के पदाधिकारियों और अरविन्दों इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस इन्दौर के डॉ. रवि दोषी, नेशनल हॉस्पिटल भोपाल के डॉ. पी.के. पाण्डे और मेट्रो हॉस्पिटल जबलपुर के डॉ. शैलेन्द्र व्यास से बातचीत की।

जनसहयोग से मिले 125 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर।

इन्दौर में राधास्वामी सत्संग व्यास एवं अन्य सगठनों की पहल पर स्थापित किए जा रहे माँ आहिल्या बाई कोविड केयर सेंटर के संबंध में डॉ. एच.एस. पटेल और डॉ. निशांत खरे ने बताया कि कम समय में इस सेंटर को स्थापित करना सरकार और समाज की एकजुटता के परिणाम स्वरूप ही संभव हो पाया है। दस फेस के इस केन्द्र में 6 हजार 200 बिस्तर होंगे, प्रथम चरण में 600 बिस्तर की सुविधा बुधवार से आरंभ हो रही है। बाम्बे हॉस्पिटल, मेदांता, अपोलो और चौइथराम हॉस्पिटल इस केन्द्र को चिकित्सकीय सेवाएँ उपलब्ध कराएंगे। जनसहयोग से 125 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन प्लांट, एक्स-रे मशीन और लैब स्थापित की जा रही है।

मरीजों को सकारात्मक और आशावादी बनाएँ रखने के होंगे विशेष प्रयास

भोपाल के सागर समूह के सुधीर अग्रवाल ने बताया कि उनके समूह द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेज में 12 एकड़ क्षेत्र में 500 बिस्तर का कोविड केयर सेंटर आरंभ किया जा रहा है। इस सेंटर में इलाज की व्यवस्था के साथ मरीजों को सकारात्मक और आशावादी बनाएँ रखने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

पुलिस प्रशिक्षण शाला में बनेगा कोविड केयर सेंटर

उज्जैन सिटीजन फोरम फॉर कोविड रिस्पांस से जुड़े उज्जैन सेवा भारती के अध्यक्ष रवि सोलंकी और भारतीय चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. कात्यायन मिश्रा ने बताया कि उज्जैन के पुलिस प्रशिक्षण शाला में 200 बिस्तर के कोविड केयर सेंटर की तत्काल व्यवस्था की जा रही है। इसे 700 बिस्तर तक बढ़ाया जाएगा। यहाँ उज्जैन के भारतीय चिकित्सा संघ के सहयोग से चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। शासकीय विभागों और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से अन्य व्यवस्थाएँ संचालित होंगी।

200 ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था।

जबलपुर में दादा वीरेन्द्र पुरी नेत्र संस्थान द्वारा संचालित कोविड चिकित्सालय के डॉ. पवन स्थापक ने बताया कि देवश्री नेत्रालय में 250 बिस्तर में से 200 ऑक्सीजन बेड कोविड प्रभावितों के लिए रखे गए हैं। इनमें से 10 आईसीयू बैड हैं। रेडक्रास तथा अन्य संगठन आवश्यक सहयोग कर रहे हैं।

परिजनों के अस्पताल आने पर प्रतिबंध आवश्यक।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से चिकित्सकों ने संवाद के दौरान कोविड संक्रमण प्रबंधन और उपचार के संबंध में सुझाव दिए। अरविन्दों इंस्टीट्यूट इन्दौर के डॉ. रवि डोसी ने कहा कि कोरोना मरीजों के साथ उनके परिजनों के अस्पताल में आने से संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ती है। इन परिजनों के बाजार तथा अपने रहवासी क्षेत्रों में जाने से संक्रमण और अधिक फैलता है। अत: कोरोना मरीजों के परिजनों के अस्पतालों में आने पर रोक लगाना आवश्यक है।

मोहल्लों व कॉलोनियों में कराया जाए टीकाकरण।

नेशनल हॉस्पिटल भोपाल के डॉ. पी.के. पाण्डे ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की संक्रमण से सुरक्षा के लिए व्यवस्था करना आवश्यक है। डॉ. पाण्डे ने टीकाकरण कार्यक्रम को मोबाइल वेन के माध्यम से मोहल्लों और कॉलोनियों में कराने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि इससे टीकाकरण के लिए अस्पताल आने वाले व्यक्तियों में संक्रमण की संभावनाओं को कम किया जा सकता है। डॉ. पाण्डे ने कहा कि अगले तीन-चार हफ्ते विशेष सतर्कता बनाये रखना आवश्यक है।

एमबीबीएस व नर्सिंग विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर उनकी सेवाएँ ली जाए।

मेट्रो हॉस्पिटल जबलपुर के डॉ. शैलेंद्र राजपूत ने कहा कि ये महामारी युद्ध की तरह है। राज्य शासन द्वारा इस युद्ध के लिए की गई तैयारियों की सराहना करते हुए डॉ. राजपूत ने कहा कि एमबीबीएस और नर्सिंग के छात्रों को 10 से 15 दिन का व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर उनकी सेवाएँ कोरोना संक्रमण के प्रबंधन में लेनी चाहिए। उन्होंने विकेन्द्रीकृत प्रशिक्षण व्यवस्था करने की आवश्यकता भी बताई।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना मरीजों के परिजनों को घर बैठे ही अपने मरीज की स्थिति और इलाज के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक तकनीकी व्यवस्थाएँ की जा रही हैं।

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