इंदौर : शिवराज सरकार का एक साल पूरा होने पर बीजेपी ने जावरा कम्पाउंड स्थित पार्टी कार्यालय पर सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए सोमवार को पत्रकार वार्ता का आयोजन किया था। उपलब्धियां गिनाने की जिम्मेदारी बीजेपी की प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार को सौंपी गई थी। जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर, विधायक महेंद्र हार्डिया, मालिनी गौड़ व आकाश विजयवर्गीय, वरिष्ठ नेता मधु वर्मा और मीडिया प्रभारी देवकीनंदन तिवारी भी पत्रकार वार्ता में मौजूद थे। कहा गया कि विधायकगण भी अपनी- अपनी उपलब्धियां गिनाएंगे।
पूरा प्रेस नोट पढ़ दिया..
प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार ने बोलना शुरू किया और पूरा प्रेस नोट जस का तस पढ़ दिया। शायद वे अपनी ओर से कोई तैयारी करके नहीं आई थी। प्रेस नोट के जरिये उनका ये दावा था कि शिवराज सरकार ने एक साल में पूर्व की 15 माह की कमलनाथ सरकार से बेहतर काम किया है। उन्होंने उन तमाम कदमों का जिक्र किया जो लोगों की भलाई के लिए शिवराज सरकार ने बीते एक साल में उठाए हैं।
और बत्ती गुल हो गई..
कविता पाटीदार के लंबे वक्तव्य के बाद बीजेपी जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर ने माइक संभाला। उनके बोलना शुरू करते ही कार्यालय की लाइट चली गई। इस बीच किसी ने जुमला उछाला ‘सरकार का एक साल और बत्ती गुल…’
बहरहाल, कुछ ही देर में बिजली वापस आ गई और राजेश सोनकर ने ग्रामीणों व किसानों के लिए शिवराज सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं का बखान किया। बाद में विधायक महेंद्र हार्डिया ने रिंग रोड के चौराहों पर पुल निर्माण को लेकर हुई प्रगति पर प्रकाश डाला।
महंगाई को लेकर सवाल होते ही गड़बड़ाए बीजेपी नेता।
सरकार की उपलब्धियां गिनाने के बाद जैसे ही सवाल- जवाब की बारी आई। बेतहाशा बढ़ रही महंगाई को लेकर पत्रकारों ने सवाल दागने शुरू कर दिए। पेट्रोल- डीजल की बढ़ी कीमतें, महंगी हो रही घरेलू गैस, दाल, चांवल, तेल सहित अनाज के आसमान छू रहे दाम, बिजली के हजारों के बिल और उनकी वसूली, बिजली की दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी, बस- ट्रेनों के बढ़े किराए को लेकर सवालों की बौछार होने लगी। प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार व अन्य बीजेपी नेताओं को ऐसे सवालों की उम्मीद नहीं थी। जैसे- तैसे जवाब देकर उन्होंने सरकार का बचाव करने का प्रयास किया पर असफल रहे। उनकी घबराहट बता रही थी कि वे जवाब देने में असहज महसूस कर रहे हैं। सवालों की झड़ी लंबी होती देख आनन- फानन में प्रेस वार्ता खत्म कर दी गई। पर इससे ये बात तो साबित हो गई कि महंगाई का मुद्दा बीजेपी की सरकार के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। उसके अपने नेता महंगाई को लेकर किए जा रहे सवालों का सामना नहीं कर पा रहे हैं। बीजेपी नेतृत्व के लिए यह चिंता का विषय जरूर होना चाहिए।