इंदौर 7 नवम्बर. सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ जयंतीलाल भंडारी का मानना है कि पिछले वर्ष 8 नवंबर को नोटबंदी लागू होने के बाद कुछ महीनों तक आम लोगों के साथ उद्योग और कारोबारियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा, रोजगार के अवसरों में कमी आई और विकास दर भी घटी लेकिन एक वर्ष केमूल्यांकन करने पर दिखाई दे रहा है कि नोटबंदी की यह कड़वी दवाई अबभारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद सिद्ध हो रही है. डॉक्टर भंडारी ने बताया कि नोटबंदी के बादचलन से बाहर किए गए करीब 16 लाख करोड़ रुपए में से 99 फीसदी प्रतिबंधित नोट बैंकों में वापस आ गए हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जमा करायागया पूरा धन सफेद हो गया है. उन्होंने बताया कि नोटबंदी के बाद बैंकोंमें रुपया जमा कराने वालों मे से करीब 18 लाख खातों को काले धन के मद्देनजर चिन्हित किया गया है. इस खातों में जमा करीब 5 लाख करोड़ रूपयेमे से एक चौथाई काला धन हो सकता है. डा. भंडारी ने बताया कि सरकार नेकारोबार ना कर के केवल काले धन को सफेद करने के लिए काम में संलिप्त पाई गई 2 लाख 24 हजार मुखौटा कंपनियों के खाते जप्त कर लिए हैं. अब तक जांच में पाया गया है कि नोटबंदी के बाद 35 हजार कंपनियों के 58 हजार बैंकखातों में 17 हजार करोड़ रुपए जमा हुए और निकाल लिए गए. सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के इंदौर स्थित क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय द्वारानोटबंदी के एक वर्ष पूरे होने पर नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विषयपर आयोजित विशेष व्याख्यान में डॉ भंडारी बोल रहे थे….
देश में 18 लाख खातों को काले धन के मद्देनजर चिन्हित किया गया है
Last Updated: November 9, 2017 " 10:20 am"
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