इंदौर : बंगाली चौराहा ब्रिज के बीच के हिस्से को लेकर पेंच फंस हुआ है। पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए जा रहे इस ब्रिज का का काम लॉक डाउन और माधवराव सिंधिया प्रतिमा की प्रतिमा के चलते महीनों तक अटका रहा। पिछले दिनों प्रतिमा हटाए जाने से बड़ी बाधा दूर हुई तो पुल की डिजाइन को लेकर पेंच फंस गया। जनप्रतिनिधियों और ब्रिज के जानकारों ने ब्रिज की डिजाइन में बड़ी खामी की ओर ध्यान दिलाते हुए उसमें बदलाव की मांग की थी लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के अड़ियल रवैए की वजह से मामला उलझ गया। पीडब्ल्यूडी मंत्री से लेकर हर स्तर पर इस बात को पहुंचाया गया। उसके बाद जाकर पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ब्रिज की डिजाइन में बदलाव पर चर्चा के लिए राजी हुए। हाल ही में जनप्रतिनिधियों, तकनीकि विशेषज्ञों और पीडब्ल्यूडी के बड़े अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी। उसमें ब्रिज की डिजाइन में बदलाव को लेकर कई सुझाव दिए गए थे। तमाम सुझावों को ध्यान में रखते हुए नए प्रस्ताव के साथ 25 जून को पुनः बैठक बुलाने की बात तय की गई थी। उसमें अब 2 दिन ही शेष रहे हैं लेकिन अभी तक कोई हलचल होती नजर नहीं आ रही है।
बीच में पिलर आने से ट्रैफिक होगा बाधित।
इधर शहर के जाने- माने सिविल इंजीनियर और ब्रिज विशेषज्ञ अतुल शेठ ने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने ब्रिज की डिजाइन परंपरागत ढंग से बना दी। उसमें कई बातों का ध्यान नहीं रखा गया। पर्यटन मंत्री की ओर से पिछली बैठक में शामिल हुए अतुल शेठ ने बताया कि बंगाली चौराहे पर बीच में ब्रिज के पिलर आ रहे हैं, जिससे चौराहे से गुजरने वाला ट्रैफिक बाधित होगा। उन्होंने कहा कि चौराहे से आने- जाने वाले वाहनों के ट्रैफिक सर्वे को ब्रिज की डिजाइन में बदलाव से जोड़ा जा रहा है जबकि सर्वे का मामला ट्रैफिक सिग्नल लगाने से जुड़ा है।
स्टील स्ट्रक्चर है विकल्प।
अतुल शेठ के अनुसार नई तकनीक में ब्रिज के पिलर के बीच का अंतर 100 फ़ीट का रखा जाता है पर पीडब्ल्यूडी ने पारंपरिक मार्ग का अवलम्बन करते हुए 50 फ़ीट पर पिलर दे दिए हैं, इसी कारण चौराहे पर पिलर की समस्या खड़ी हो गई है। उन्होंने कहा कि पिलर हटाकर उसके स्थान पर स्टील का स्ट्रक्चर अर्द्ध गोलाई में खड़ा किया जा सकता है। उससे ब्रिज की मजबूती भी बनी रहेगी और पिलर हटने से ट्रैफिक भी बाधित नहीं होगा।
लागत में थोड़ीसी होगी बढ़ोतरी।
इंजीनियर शेठ ने माना कि ब्रिज के डिजाइन में बदलाव से 8- 9 करोड़ की बढ़ोतरी लागत में हो सकती है, हालांकि भविष्य की जरूरत को देखते हुए डिजाइन में बदलाव जरूरी है।