भोपाल : सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर कोल्ड्रिंक में जहर मिलाकर पीने वाले जोशी परिवार की अंतिम सदस्य अर्चना जोशी की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। एक-एक कर परिवार के पांचों सदस्य मौत के मुंह में चले गए। पति संजीव जोशी की रविवार को मौत हो गई थी, जबकि उसके पहले दोनों बेटियों और बुजुर्ग मां ने एक- दो दिनों के अंतराल में दम तोड़ दिया था। इस दर्दनाक घटना ने भोपाल के साथ पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है।
पुलिस ने पहले कार्रवाई में की थी टालमटोल।
बताया जाता है कि जोशी परिवार ने सूदखोरों की प्रताड़ना को लेकर बीती 11 नवम्बर को भोपाल पुलिस को आवेदन दिया था और सूदखोरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी पर पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। पीड़ित जोशी परिवार द्वारा हताशा में सामूहिक रूप से जहर पीने के बाद पुलिस ने तुरत- फुरत सूदखोर मुख्य आरोपी बबली दुबे, उसकी बेटी रानी दुबे, उर्मिला खांबरा व प्रमिला बेलदार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि जोशी परिवार को मरने के लिए मजबूर करने वाले ऐसे हैवानों पर कठोरतम कार्रवाई की जानी थी।
सरकार की भूमिका भी रही लचर।
हैरत की बात ये है कि पीड़ित जोशी परिवार सामान्य वर्ग से ताल्लुक रखने के कारण सीएम शिवराज ने भी कोई सुध नहीं ली। केवल घटना पर दुःख जताकर और सूदखोरों पर कार्रवाई के निर्देश देकर उन्होंने इतिश्री कर ली। न वे पीड़ित परिवार की हालत जानने अस्पताल गए और न ही उनके निकट सम्बन्धियों से बात कर उन्हें ढांढस बंधाया। वोट बैंक का मामला होता तो पूरा शासन- प्रशासन जोशी परिवार की सुध लेने पहुंच जाता। बड़े मुआवजे का ऐलान कर दिया जाता। हैरत की बात ये रही की विपक्षी दल कांग्रेस ने भी केवल सोशल मीडिया पर सरकार को लानत भेजकर इतिश्री कर ली। इस लोमहर्षक घटना के बाद सूदखोरों के आतंक के कारण प्रदेश में लगातार की जा रही आत्महत्याओं को लेकर विपक्ष
बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकता था। सूदखोरों के खिलाफ कड़े कानून की मांग की जा सकती थी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। कांग्रेसी नेता भी चादर तानकर सोए रहे।
बीजेपी विधायक की शर्मनाक हरकत।
भोपाल के गोविंदपुरा से बीजेपी विधायक कृष्णा गौर तो एक कदम और आगे निकली। पीड़ित जोशी परिवार के प्रति सहानुभूति जताने के नाम पर अस्पताल पहुँची विधायक गौर ने मरणासन्न अवस्था में आईसीयू में पड़े संजीव जोशी के हाथों में कथित सहायता राशि का चेक पकड़ाकर फ़ोटो सेशन करा लिया। लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें इस हरकत के लिए जमकर लताड़ लगाई। इससे बीजेपी और प्रदेश सरकार की भी किरकिरी हुई सो अलग।
बहरहाल, सूदखोरों की प्रताड़ना से लोगों द्वारा खुदकुशी किए जाने के सैकड़ों मामले प्रदेश में सामने आ चुके हैं। एक दिन पहले ही सीहोर में भी एक युवक ने सूदखोरों की धमकियों के चलते ट्रेन से कटकर खुदकुशी कर ली। ऐसे में जरूरी हो गया है कि मूल से कई गुना ब्याज वसूल कर लोगों को मरने के लिए मजबूर करने वाले सूदखोरों को कड़ा दंड देने के लिए कानून में बदलाव किया जाए और बिना लाइसेंस सूदखोरी कर रहे नराधमों के खिलाफ रासुका जैसी कार्रवाई की जाए, अन्यथा जोशी परिवार जैसी खुदकुशी की घटनाएं घटती रहेंगी और हम तात्कालिक प्रतिक्रिया देकर फिर सबकुछ भूल जाएंगे।