इंदौर : शहर के महाराष्ट्रीयन परिवारों में महालक्ष्मी की अगवानी और पूजन के बाद सोमवार को उन्हें भावभीनी विदाई दी गई।
दरअसल, ऐसा माना जाता है की ज्येष्ठा कनिष्ठा रूप में अपने बच्चों के साथ महालक्ष्मी का मायके आगमन होता है। तीन दिनों तक वह अपने मायके में निवास करती है। इस दौरान महालक्ष्मी के स्वागत हेतु आकर्षक झांकी सजाई जाती है और उनके मुखौटों को स्थापित किया जाता है । पहले दिन देवी का आगमन होता है। इस दिन पूजन आरती आदि की जाती है । दूसरे दिन छप्पन भोग का नैवेद्य देवी को लगाया जाता है । हल्दी कंकू के साथ घरों में दर्शन पूजन होता है । तीसरे दिन दही चावल के नैवेद्य के बाद महालक्ष्मी की विदाई होती है ।
शहर के मराठी बहुल क्षेत्र राजेंद्र नगर में इस दौरान खासा उत्साह नजर आया । घरों में गृहणियों ने परंपरागत तरीके से देवी की पूजा अर्चना की । गणेशोत्सव समिति द्वारा यहां महालक्ष्मी डेकोरेशन स्पर्धा भी आयोजित की गई थी, जिसमें भाग्यश्री तरानेकर पानसे को प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया।
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