इंदौर : पंचम निषाद संगीत संस्थान, दक्षिण मध्य भारत सांस्कृतिक केंद्र नागपुर, संस्कृति संचालनालय भोपाल व संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान पद्म विभूषण गिरजा देवी की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय संगीत समारोह ठुमरी का ठाठ का शुभारंभ शनिवार को हुआ। जाल सभागृह में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले दिन केदार मोडक ने गायन की प्रस्तुति दी। राग मिश्र में ठुमरी का गायन किया। उनके साथ तबले पर धवल परिहार, हारमोनियम पर मुकेश राज गाया ने संगत की।
इसके बाद मंच संभाला पुणे से आए पंडित विजय कोपरकर ने। उन्होंने राग मिश्र खमाज में पंडित बसंत देशपांडे की गाई ठुमरी से अपने गायन का आगाज किया। सभा की शुरुआत की। उसके बाद राग खमाज में बंदिश की ठुमरी न मानूंगी न मानूंगी , राग खमाज में ही तराना उदन नतोम तनन देरे ना
पश्तो ताल में टप्पा और राग काफी में ठुमरी कल कहा थे कन्हाई पेश की। तबले पर संजय मंडलोई और हारमोनियम पर डॉ. विवेक बंसोड ने विजय कोपरकर का साथ निभाया।
सभा की तीसरी कलाकार थी विदुषी कल्पना झोकरकर।
उन्होंने मिश्र खमाज में विलंबित ठुमरी ,अब के सावन घर आजा, उसके बाद एक दादरा राग किरवानी में मोरे नैना बरसने लागे री गाया। कोयलिया मत कर पुकार तेजल लागे कटार यह दादरा गाकर वे अपने गायन को समापन की ओर ले गई। उनके साथ तबले पर रामेंद्रसिंह सोलंकी और हारमोनियम पर डॉ. विवेक बनसोड ने संगत की।
पहले दिन श्रोताओं की उपस्थिति अच्छी थी।
संगीत समारोह के दूसरे दिन रविवार 13 नवंबर को विदुषी धनश्री पंडित और पंडित राजेन्द्र सेजवर अपनी गायन प्रस्तुतियां देंगे।