दिव्य शक्ति पीठ पर वाशिंगटन से आए स्वामी नलिनानंद गिरि के श्रीमुख से भागवत ज्ञान यज्ञ का अनूठा आयोजन।
इंदौर : हम 24 घंटे बैठकर पूजा-पाठ करें, लेकिन अंतर्मन में जागृति, विवेक और चैतन्यता नहीं आए तो ऐसा पाठ और पूजा किसी काम की नहीं। मनुष्य की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती। शरीर के सारे अंग शिथिल हो जाते हैं, लेकिन कामनाएं हिलौरे भरती रहती हैं। धर्मग्रंथों की महत्ता तब तक समझ में नहीं आएगी, जब तक ज्ञान जीवन में नहीं उतरेगा। केवल रट्टा मारने से ज्ञान की प्राप्ति नहीं होगी। भगवान के सामने कभी बेचारा बनकर कुछ मांगने के लिए नहीं जाएं, बल्कि भगवान से कुछ मांगना ही है तो पुरुषार्थ की मांग करें, ताकि दो हाथों और विवेक की मदद से हम वे सारे काम कर सकें, जिनके लिए भगवान ने हमें मनुष्य बनाकर यहां भेजा है। केवल बिल्व पत्र या जल चढ़ा देने से ही हमारी समस्याएं हल नहीं होंगी। जीवन में शार्टकट खोजने का प्रयास ज्यादा खतरनाक होता है।
ये दिव्य विचार वाशिंगटन (अमेरिका) से आए, इटरनल वॉइस के संस्थापक भारतीय मूल के स्वामी नलिनानंद गिरि महाराज ने व्यक्त किए। वे एम.आर. 10 रोड, रेडिसन चौराहा के पास स्थित दिव्य शक्तिपीठ पर चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ एवं सत्संग में बोल रहे थे। कथा शुभारंभ के पूर्व डॉ.दिव्या-सुनील गुप्ता, दिनेश मित्तल, अमित सराफ, अशोक ऐरन, अजय सुरेशचंद्र अग्रवाल, राजेश कस्तुरी, श्याम सिंघल, अनिल मित्तल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
अंतर्मन के अज्ञान को दूर करें, वह ज्ञान तत्व।
मनोहारी भजनों की धाराप्रवाह प्रस्तुति के बाद स्वामी नलिनानंद ने कहा कि जहां कुंठाओं का अभाव हो, उसे बैकुण्ठ कहते हैं। ज्ञान वह तत्व है, जो अंतर्मन के अज्ञान को दूर कर सके। ज्ञान को अंदर उतारने की जरूरत है। हम दिनभर बैठकर चाहे जितने पाठ कर लें, ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। हमारा चित्त कितना सजग, चैतन्य और जागृत हुआ है, यह ज्ञान से ही पता चलेगा। आजकल बिल्व पत्र अथवा जल चढ़ा देने से ही समस्याओं के हल के उपाय बताए जा रहे है। यह सब हम पहले से ही करते आए हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे, क्योंकि यह हमारी आस्था और श्रद्धा पर आधारित कर्म है, लेकिन इसे जीवन की समस्याओं से जोड़ने से समाज गुमराह होता है। बिल्व पत्र चढ़ाने से किताब दिमाग में नहीं घुसेगी। यह तो श्रद्धा और आस्था के नाम पर समाज को भटकाने की कोशिश है। अमेरिका में ऐसे गौरख धंधों के लिए कोई जगह नहीं है। वे तो आपके काम के आधार पर ही आपकी योग्यता का आंकलन करेंगे। जीवन में शार्टकट कई बार खतरनाक साबित होते हैं। हम मेहनत के रास्ते पर चलकर परमात्मा के विश्वासी, पुरुषार्थी और कर्मशील बने तभी सही मायने में हमारी भक्ति संपन्न होगी। भागवत कथा आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए नहीं, बल्कि पाखंडों से हटकर ज्ञान मार्ग पर चलकर आपके जीवन को सार्थक बनाने के लिए है। कथा का समापन राष्ट्र आराधना के साथ हुआ।