जब ट्रेन की सीटी के साथ बांसुरी के सुर मिलाते रहे पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया

  
Last Updated:  July 1, 2019 " 04:16 pm"

{संजय पटेल}आज बाँसुरी को असीम लोकप्रियता देने वाले कलावंत पं.हरिप्रसाद चौरसिया का जन्मदिवस है. उनके श्री चरणों में मेरे अकिंचन प्रणाम.
बनारसी ठाठ और तबियत के इस बेजोड़ फ़नक़ार ने लम्बे संघर्ष के बाद वह सबकुछ पाया है जो हम आज देख रहे हैं. पहलवानी की, टायपिस्ट के बतौर काम किया,आकाशवाणी में नौकरी की और न जाने कितने संगीतकारों की धुनों में छोटे-छोटे टुकड़े बजाने के लिए मुम्बई की लोकल ट्रेन्स में में यहाँ से वहाँ भागते रहे.
आज ही अनायास किसी बतियाते हुए आकाशवाणी इन्दौर के संगीतकर पं.स्वतंत्रकुमार ओझा का ज़िक्र छिड़. मुझे तुरंत याद आया कि ओझाजी ने मुझे एक अनमोल तस्वीर भेंट की थी जिसमें हरिजी मालवा हाउस यानी आकाशवणी इन्दौर की जानिब से रतलाम में आयोजित अकाशवाणी की संगीत सभा वंशी वादन करते हुए नज़र आ रहे हैं.वही तस्वीर आप सभी मित्रों के लिए साझा कर रहा हूँ.
ओझाजी माइक्रोफ़ोन पर हरिजी का परिचय दे रहे हैं.सगंतकार के रूप में तबले पर हैं उस्ताद सुलेमान ख़ाँ,तानपुरे पर पं.विष्णु रामचंद्र वलिवड़ेकर- पं.एम.बी.कल्याणी, और स्वर मण्डल पर पं.डी.बी.गोरे.
ओझाजी ने ही बताया था कि रतलाम रेल्वे स्टेशन के परिसर में ही स्थित क्लब में यह आयोजन होने से आती-जाती गाड़ियों को सीटी मंच तक पहुँचती रही और वे भी मज़े ले-लेकर उनसे अपनी बाँसुरी का सुर मिलाते रहे. यह चित्र 1968 का है तब पं.चौरसिया आकाशवाणी धारवाड़ में स्टाफ़ आर्टिस्ट थे.

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