राजनीति से प्रेरित होता है फिल्मों का बहिष्कार

  
Last Updated:  April 10, 2023 " 01:22 am"

फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म को बढ़ा – चढ़ाकर पेश किया जाता है।

गुणवत्ता पर हावी हो गया है बाजारवाद।

ओटीटी पर सेंसरशिप से कुछ हासिल नहीं होगा।

स्टेट प्रेस क्लब के रूबरू कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा में बोले अभिनेता राजेंद्र गुप्ता।

इंदौर : रंगमंच, फिल्म और टीवी पर बीते 5 दशकों से सक्रिय प्रसिद्ध अभिनेता राजेन्द्र गुप्ता का कहना है कि बॉलीवुड में नेपोटिजम को बढ़ा – चढ़ाकर पेश किया जाता है जबकि ऐसा हर फील्ड में होता है। वक्त के साथ हालात बदलते रहते हैं।अब गुणवत्ता पर बाजारवाद हावी हो गया है। ओटीटी पर सेंसरशिप से कुछ हासिल नहीं होगा। फिल्मों का बहिष्कार राजनीति से प्रेरित होता है। श्री गुप्ता स्टेट प्रेस क्लब के रूबरू कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।

गुणवत्ता पर बाजारवाद हावी हो गया है।

चरित्र अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि एक दौर था जब दूरदर्शन के सीरियलों के लिए इतमिनान से काम होता था। चार-पांच दिनों तक सतत शूटिंग के बाद एक एपिसोड बनता था, लेकिन आज के व्यावसायिक दौर में गुणवत्ता के साथ समझौता कर एक दिन में ही पूरा एपिडोज बना दिया जाता है। गुप्ता ने कहा कि आज के दौर में कम पैसा खर्च करके ज्यादा से ज्यादा काम लिया जा रहा है। यह भी एक तथ्य है कि नई-नई तकनीक से कई चीजों में लाभ भी हो रहा है पर अभिनय हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है और रहेगा। तकनीक और अभिनय के समन्वय से हम ऐसी चीज बनाए जो दर्शकों को बांध कर रख सकें।

नेपोटिज्म हर क्षेत्र में है।

श्री गुप्ता ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म को बढ़ा – चढ़ाकर पेश किया जाता है जबकि कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है।

ओटीटी पर सेंसरशिप से कुछ हासिल नहीं होगा।

ओटीटी प्लेटफार्म के माध्यम से बढ़ती अश्लीलता के संदर्भ में श्री गुप्ता ने कहा कि ये सही है की कई कंटेंट ऐसे होते हैं जो हम परिवार के साथ बैठकर नहीं देख सकते पर उनपर सेंसरशिप लगाने से कुछ हासिल नहीं होगा क्योंकि ओटीटी पर जो पूरी दुनिया का बोल्ड कंटेंट उपलब्ध है, उससे कैसे बचेंगे..? दरअसल, हम ओटीटी पर सेंसरशिप की बात कहकर काल्पनिक आदर्शवाद में जीना चाहते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज भी सबसे ज्यादा शराब उन्हीं राज्यों में बेची जाती है जहां शराब बंदी होती है। दर्शकों को चाहिए कि वे अपनी आत्मा की आवाज पर सीरियल व फिल्में देखें। स्व. नियंत्रण व्यक्तिगत स्तर पर तो हो सकता है लेकिन सामाजिक स्तर पर नहीं।

फिल्मों का बहिष्कार राजनीति से प्रेरित।

फिल्मों के बहिष्कार संबंधी प्रश्न के जवाब में श्री गुप्ता ने कहा कि यह सब राजनीति का हिस्सा है। जिसे जो फिल्म नापसंद हो वह नहीं देखें। विरोध का असर हुआ होता तो पठान सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म नहीं बनती।

प्रतिस्पर्धा से घबराए नहीं।

अभिनय के क्षेत्र में आगे बढऩे के मामले में उन्होंने कहा कि शार्टकट से कोई आगे नहीं बढ़ सकता। अभिनय सामूहिक कला है। सभी के प्रयासों से ही बेहतर प्रोडक्ट सामने आता है। उन्होंने यह भी कहा जब तक सांस है तब तक आस रखी जाना चाहिए। प्रतिस्पर्धा से घबराना नहीं चाहिए।

प्रारंभ में अभिनेता राजेंद्र गुप्ता का स्वागत प्रवीण कुमार खारीवाल, सोनाली यादव, उर्मी शर्मा, वरुण जोशी, सिमरन शर्मा ने किया। आकाश चौकसे ने स्मृति चिह्न भेंट किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी एवं रंगकर्मी उपस्थित थे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *