टैक्स ऑडिट विषय पर सेमिनार में बोले वक्ता।
इंदौर : आईसीएआई की इंदौर सीए शाखा द्वारा शहर के सीए एवं सीए छात्र छात्राओं,ऑफिस स्टॉफ आदि के लिए एक टैक्स ऑडिट विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
कार्य की रिस्क और रिसोर्स की लागत के आधार पर फीस ले।
इंदौर सीए शाखा के चेयरमैन सीए मौसम राठी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि सीए का कार्य दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पहले मैनुअल ऑडिट रिपोर्ट जाती थी, जिसका डाटा कंपाइल नही हो पाता था पर अब सारा डाटा विभाग के पास रियल टाइम में उपलब्ध रहता है, उस रिपोर्ट के आधार पर ही स्क्रुटनी या अन्य नोटिस आते हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। जिस प्रकार की जिम्मेदारी की अपेक्षा एक सीए से की जाती है, जितनी रिस्क कार्य में रहती है और आजकल रिसोर्सेज की कॉस्ट जितनी हो गई है उनको देखते हुए फीस तय करना चाहिए, कम फीस पर कार्य नही करना चाहिए। आईसीएआई द्वारा जारी किए गए स्टैंडर्स ऑन ऑडिटिंग का पालन भी अनिवार्य रूप से करना चाहिए। सभी एटेस्टेशन फंक्शन पर एसए लागू होते हैं। यदि सही ढंग से इनका पालन किया जाए तो भविष्य में आने वाली किसी भी समस्या जिसमे सीए की प्रोफेशनल कपैसिटी में आ जाता है, उससे बचा जा सकता है।
ऑडिट एक सीरियस विषय है, सोच कर करे रिपोर्ट जारी।
उन्होंने कहा कि ऑडिट बहुत सीरियस मैटर है। रिपोर्ट जारी करते समय हमे सभी पहलुओं का ध्यान रखते हुए अपनी रिपोर्ट जारी करना चाहिए, स्टेकहोल्डर्स की हमसे क्या अपेक्षा है इसको ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट देना चाहिए।
1984 में आया पहली बार टैक्स ऑडिट।
वरिष्ठ सीए एवं मुख्य वक्ता सीए मनीष डफरिया ने संबोधित करते हुए कहा कि सन 1984 में पहली बार टैक्स ऑडिट का प्रावधान लाया गया था तब से अभी तक करीब 40 वर्षों में भी कई क्लॉज ऐसे हैं, जिनमे जितनी बार स्टडी करें, अलग- अलग मत सम्भव है। दूसरे देशों से यदि तुलना की जाए तो भारत एक ऐसा देश है जहां व्यवसायी को अपना टैक्स ऑडिट करवाना पड़ता है।सीए के कंधों पर एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी डाली गई है और यह व्यवस्था भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा किए गए ऑडिट पर देश और सरकार के भरोसे को दर्शाता है, ऐसे मे हमें अपनी पूरी प्रोफेशनल क्षमता के साथ कार्य का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कई मामलों मे यह भी देखा जाता है कि रिपोर्ट फाइल कर दी जाती है परंतु अप्रूव करना रह जाती है, ऐसे मे भी वह रिपोर्ट कम्प्लीट सबमिट नहीं मानी जाती है। समय से ऑडिट करने और रिटर्न फाइल करने के मामले मे एक भी गलती की गुंजाइश नहीं होती है। एक भी भूल पूरे वर्ष की मेहनत पर भारी पड़ती है। सीए को अपने स्टॉफ द्वारा किए गए कार्यो पर भी उचित निगरानी करना चाहिये, जिससे गलती ना रहे।
टैक्स ऑडिट ना कराने की पेनल्टी डेढ़ लाख।
रीजन सचिव सीए कीर्ति जोशी ने बताया कि 30 सितंबर इस वर्ष टैक्स ऑडिट कराने की अंतिम तिथि है।पिछ्ले वर्ष के अनुसार इस बार भी सरकार इस तारीख को आगे बढ़ाए ऐसी उम्मीद बहुत कम है और ना ही आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। ऐसे में समय से ऑडिट करना जरूरी है। नियत तिथि तक ऑडिट ना कराने की अधिकतम पेनल्टी डेढ़ लाख है। यह पेनल्टी टर्नओवर की 0.50 % या डेढ़ लाख जो कम हो, उतनी पेनल्टी का दायित्व है।
कार्यक्रम का संचालन सचिव सीए स्वर्णिम गुप्ता ने किया और आभार सीए अतिशय खासगीवाला ने माना। कार्यक्रम में पूर्व अध्यक्ष सीए आनंद जैन, अभय शर्मा, सोम सिंहल, प्रकाश वोहरा, चंदन लसोड आदि सहित बड़ी संख्या मे सीए सदस्य और छात्र छात्राएं उपस्थित थे।