संबंधित चैनलों और सर्वे एजेंसियों के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी पर उतरे कांग्रेस नेता।
इंदौर : मप्र में सत्ता के लिए उतावली हो रही कांग्रेस पार्टी में एग्जिट पोल के पूर्वानुमान देखकर मानों भूचाल सा आ गया है। उसके नेता ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि प्रदेश की जनता उन्हें फिर से नकार भी सकती है। शायद यही आत्ममुग्धता पालने की वजह से कमलनाथ से लगाकर तमाम नेता कांग्रेस की हार को दिखा रहे चैनलों के एग्जिट पोल्स को सिरे से खारिज कर रहे हैं। यहां तक तो बात ठीक है क्योंकि एग्जिट पोल गलत भी साबित हो सकते हैं। कोई चैनल भी यह दावा नहीं करता कि उसका एग्जिट पोल सौ फीसदी सही साबित होगा पर उसके आसपास जरूर हो सकता है। उसके बाद भी ये एक आकलन है, नतीजा नहीं। वास्तविक नतीजे तो तीन दिसंबर को आएंगे। तब तक तो अटकलों, कयासों, दावों, प्रतिदावों का दौर जारी रहेगा। फिर कांग्रेस के नेता इतने भयभीत क्यों हैं की वे एग्जिट पोल को खारिज करने के साथ उन्हें दिखाने वाले चैनलों पर ही तरह – तरह की तोहमतें मढ रहे हैं। उन्हें फर्जी, बिका हुआ और भी न जाने किन – किन विशेषणों से नवाज रहे हैं।
सत्ता का वरण करने को लालयित कांग्रेस के नेताओं को खासकर उन चैनलों के एग्जिट पोल पर ऐतराज है, जो बीजेपी के पक्ष में क्लीन स्वीप दर्शाते हुए उसे भारी बहुमत मिलता दिखा रहे हैं। इनमें आजतक, इंडिया टीवी और न्यूज 24 चैनल जैसे बड़े चैनल प्रमुख हैं। सोशल मीडिया पर इन चैनलों के खिलाफ कांग्रेसी जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। इनके लिए सर्वे करने वाली एजेंसियों को फर्जी, आरएसएस, बीजेपी से जुड़ी और प्रायोजित ढंग से सर्वे करने और दिखाने का आरोप लगाया जा रहा है। आज तक, न्यूज 24 जैसे न्यूज चैनलों पर तो करोड़ों रुपए लेकर बीजेपी के पक्ष में एग्जिट पोल दिखाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। जबकि यही चैनल और यही सर्वे एजेंसियां राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत का पूर्वानुमान दिखा रही है, उसपर कांग्रेसी मौन हैं। दूसरे न्यूज 24 चैनल के तो मालिक भी कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं। उनका चैनल भी अपने एग्जिट पोल में मप्र में बीजेपी की जीत दिखा रहा है तो क्या वो भी बिका हुआ है..?
दरअसल, एग्जिट पोल के पूर्वानुमान देखकर कांग्रेस बुरीतरह हिल गई है। उसके नेता तो मान बैठे थे की सत्ता बस उनके हाथों में आने ही वाली है पर बीच में ही एग्जिट पोल ने रायता ढोल दिया। अच्छा तो ये है कि व्यर्थ की अमर्यादित बयानबाजी कर अपनी भद पिटवाने की बजाय कांग्रेस नेताओं को तीन दिसंबर का इंतजार करना चाहिए जो अब महज एक दिन के फासले पर है।