भोपाल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सोमवार दोपहर मप्र के 18 वे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। यहां स्थित जम्बूरी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व पीएम देवेगौड़ा, आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, शरद पवार, महागठबंधन में शामिल दलों के नेता, पूर्व सीएम शिवराज सिंह, बाबूलाल गौर, कैलाश जोशी, दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के तमाम बड़े नेता और हजारों की संख्या में कांग्रेसजन शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
शपथ लेने के पूर्व कमलनाथ, राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंच से हाथ हिलाकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया।कमलनाथ पूर्व सीएम शिवराज के पास भी पहुंचे और गर्मजोशी के साथ उनसे गले मिले। इसबीच सिंधिया भी शिवराज के पास पहुंच गए। तीनों ने एक- दूसरे का हाथ थामकर ऊपर उठाया और राजनीतिक सौहार्द्र का परिचय दिया।
शपथ ग्रहण के जरिये दिखाई महागठबंधन की एकजुटता
कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में लोकसभा चुनाव की परछाई भी नजर आयी। कांग्रेस ने इस समारोह को मेगा शो बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तीन राज्यों में सफलता से उत्साहित कांग्रेस ने महागंठबंधन में शामिल सभी दलों के नेताओं को न्योता भेजा था। 20 से अधिक दलों के नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी एकजुटता दर्शाई।
अखिलेश- मायावती ने बनाई दूरी
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती को भी शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया था पर वे नहीं आये । इसे मप्र में कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं होने से जोड़ा जा रहा है वहीं यूपी की सियासत में दोनों दलों द्वारा कांग्रेस को तवज्जो नहीं देने का संकेत भी माना जा रहा है। 2019 में केंद्र की सत्ता पर भी काबिज होने को आतुर कांग्रेस को इससे झटका लगा है।