विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई है नई शिक्षा नीति: प्रो. श्रीवास्तव

  
Last Updated:  May 23, 2024 " 01:35 pm"

इंदौर : एक राष्ट्र, एक शिक्षा नीति’ से राष्ट्र के उत्थान के साथ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को केंद्र में रखकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई है और इसपर व्यापक कार्य भी हो रहा है।

यह जानकारी स्टेट प्रेस क्लब, म. प्र. के ‘संवाद’ कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन के पश्चिम क्षेत्र प्रमुख एवं महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के कुलपति प्रो. डॉ. विजय कुमार श्रीवास्तव ने दी।डॉ. श्रीवास्तव, मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने एवं उसके क्रियान्वयन के लिए कार्य करने वाले प्रमुख लोगों में से एक हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनइपी) 2020 को लागू हुए तीन वर्ष हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी को शिक्षा, समानता, गुणवत्ता, शिक्षा को सबके लिए वहन करने योग्य बनाना, कौशल विकास को प्रधानता और उद्यमिता का विकास करना है।

भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित है नई शिक्षा नीति।

उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परंपरा और मानवीय मूल्यों पर आधारित है इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रमुख स्तंभों जैसे आयुर्वेद अर्थशास्त्र आदि का समावेश किया गया है। यह नीति पूरे राष्ट्र को शिक्षित करने के साथ सबको उसके अनुरूप शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार प्रदान करती है। यथासंभव हर विद्यार्थी को पढ़ने के पूरे अवसर मिलें, यह इसकी विशेषता है। विद्यार्थी यदि किसी कारण से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ता है तो उसे पूरे किए गए कोर्स के बदले में क्रेडिट प्राप्त होगी। उसने जिस जगह पर पढ़ाई छोड़ी है वह वहां से उसे पुनः प्रारंभ कर सकेगा।

14 वर्ष तक बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर।

कुलपति प्रो.श्रीवास्तव ने बताया कि नई शिक्षा नीति बौद्धिक साधना, शारीरिक साधना के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें स्किल, एबिलिटी और वैल्यू एनहैंसमेंट यानी विस्तार विकास वृद्धि के लिए फोकस है। इस शिक्षा नीति का केंद्र शिक्षक न होकर विद्यार्थी हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के मान से 11 वर्ष तक की आयु विशेष है इसलिए इस सीमा तक एवं अधिक से अधिक 14 वर्ष की आयु तक विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु यथासंभव सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए जाना चाहिए।

नई शिक्षा नीति के ये हैं संकल्प सूत्र।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संकल्प सूत्रों में शिक्षा के साथ दीक्षा, प्रकृति के साथ संस्कृति, भव्यता के साथ सभ्यता, ज्ञान के साथ विज्ञान एवं अनुसंधान का सोच व संकल्प है। जैसे पहले भारत विश्व के लिए ज्ञान एवं अध्ययन का केंद्र था, उसे पुनर्स्थापित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।

पुनः विश्व गुरु बनने की दिशा में भारत।

कुलपति प्रो. श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2020 से क्रियान्वयन में आईं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अभी बड़ी
संख्या में भारतीय छात्र यूएसए के साथ यूरोपीय देशों में पढ़ने जाते हैं लेकिन इस नीति के परिणाम अब सामने आने लगे हैं।बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विवि में ही 64 देशों के 2500 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के दो विश्वविद्यालय, गुजरात राज्य की गिफ्ट सिटी में
सेंटर्स के साथ काम कर रहे हैं। वहीं आईआईटी और आईआईएम ने अपने कैंपस दुबई व अबू धाबी में खोले हैं।

पंचतत्वों से बना है शब्द भगवान।

सयाजीराव विश्वविद्यालय में कुलपति एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पश्चिम क्षेत्र के प्रमुख होने के साथ प्रो.श्रीवास्तव का मुख्य विषय पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन भी है। उन्होंने कहा कि भगवान शब्द पंचतत्वों से बना हैं भूमि, गगन, वायु, अग्नि और नीर। हमें जल, जंगल, जमीन, जन एवं जानवर सबके सहअस्तित्व पर ध्यान देना होगा। प्रकृति के पोषण की जिम्मेदारी हम सबकी है। पौधे लगाने के पहले बीज के अंकुरण से पर्यावरण संरक्षण की नींव, सोच विचार एवं संस्कारों में रखनी पड़ेगी।

प्रारम्भ में अतिथि का स्वागत प्रवीण कुमार खारीवाल, नवनीत शुक्ला, रचना जौहरी,पंकज क्षीरसागर, मीना राणा शाह, गणेश एस चौधरी, गौरव जैन ने किया। आभार मोहनलाल मंत्री ने माना।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *