बिहार के लिए खास प्रावधान विकास या चुनावी दांव..?

  
Last Updated:  February 2, 2025 " 01:52 pm"

🔺के के झा 🔺


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 2025 का केंद्रीय बजट, जो मिथिला पेंटिंग्स से सजी साड़ी में प्रस्तुत किया गया, न केवल सांस्कृतिक प्रतीकात्मकता को दर्शाता है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी रणनीतिक सोच भी छिपी हुई है। जहां इस बजट में राष्ट्रीय विकास की दिशा में बड़े कदम उठाए गए हैं, वहीं बिहार को मिले विशेष महत्व ने यह सवाल उठाया है कि यह बजट वास्तव में राष्ट्रहित में है या आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा?

बिहार के लिए खास प्रावधान: विकास या चुनावी दांव?

बिहार इस बजट का सबसे बड़ा लाभार्थी बनकर उभरा है, जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, और पर्यटन जैसे क्षेत्रों के लिए बड़े आवंटन किए गए हैं। मखाना बोर्ड की स्थापना, जो मखाने के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए होगा, बिहार की कृषि अर्थव्यवस्था को नए आयाम दे सकता है। साथ ही, पटना तथा बिहटा के अलावा 3 नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट और राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना की बजट में घोषणा से बिहार की कनेक्टिविटी और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बड़ी ताकत मिलेगी। इसके अलावा, बिहार के मिथिला बाढ़ रूपी आपदा के नियंत्रण के लिए ₹11,500 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो बिहार के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जबकि गया और राजगीर में मंदिर कॉरिडोर के निर्माण से धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 2025 के केंद्रीय बजट में बिहार को मिली विशेष प्राथमिकताओं के साथ-साथ, आईआईटी पटना का भी उल्लेख किया गया, जो राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक अहम कदम साबित हो सकता है। आईआईटी पटना को एक अत्याधुनिक शोध संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए अतिरिक्त संसाधन आवंटित किए गए हैं, जो न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के तकनीकि विकास में योगदान करेगा।

इन पहलों में एक स्पष्ट विकास का संकेत है, लेकिन चुनावी माहौल में इन कदमों को लेकर राजनीतिक सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि यह बजट बिहार-केंद्रित है, जबकि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को नजरअंदाज किया गया है।

मध्यम वर्ग और किसानों के लिए राहत: संतुलन की कोशिश।

बजट ने मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसमें टैक्स में छूट, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और रोजगार सृजन के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार किया गया है, वहीं किसानों के लिए सरकार ने तेल बीजों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अनुसंधान पहलें शुरू की हैं, ताकि भारत की खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम हो सके। कृषि क्षेत्र को बेहतर सिंचाई और ग्रामीण अवसंरचना के माध्यम से समर्थन दिया जा रहा है, जिससे दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। यदि इन पहलों को सही तरीके से लागू किया जाता है, तो यह न केवल ग्रामीण, बल्कि शहरी अर्थव्यवस्था में भी सुधार ला सकता है।

बड़ा विजन: ऊर्जा, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा।

राज्य-विशेष योजनाओं के अलावा, बजट में भारत के भविष्य के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप भी पेश किया गया है। सरकार ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में 100 GW उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो भारत की स्वच्छ और सतत ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। स्टार्टअप्स के लिए टैक्स लाभ और फंडिंग समर्थन का प्रावधान किया गया है, जिससे भारत को वैश्विक नवाचार का केंद्र बनने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, निर्यात संवर्धन की योजनाएं शुरू की गई हैं, जो विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और कृषि क्षेत्र में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएंगी। यह कदम भारत को वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित कर सकते हैं, लेकिन इन योजनाओं की सफलता पूरी तरह से कार्यान्वयन पर निर्भर करती है।

विकास का बजट या चुनावी चाल?

केंद्रीय बजट 2025 ने आर्थिक विस्तार और राजनीतिक रणनीतियों के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास किया है। जहां बिहार को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है, वहीं ऊर्जा, निर्यात, और नवाचार के क्षेत्र में किए गए सुधार राष्ट्रीय विकास की ओर एक बड़ा कदम दर्शाते हैं। असली चुनौती इन योजनाओं को सही तरीके से लागू करने की है। यदि सरकार इन पहलों को प्रभावी रूप से लागू करती है, तो यह भारत के आर्थिक विकास को नई दिशा दे सकता है, लेकिन अगर इन पहलों को सही तरीके से लागू नहीं किया जाता, तो यह बजट एक चुनावी रणनीति के रूप में ही याद किया जाएगा, न कि विकास की एक महत्वपूर्ण धारा के रूप में।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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