शिक्षिका, एंकर, लेखिका, कवयित्री के बतौर पाया अहम मुकाम।
कई कवि सम्मेलनों और साहित्यिक मंचों से कर चुकी हैं काव्यपाठ।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष।
(राजेंद्र कोपरगांवकर) : महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कमतर नहीं हैं। उन्होंने हर उस क्षेत्र में अपने प्रतिभा कौशल का लोहा मनवाया है, जहां कभी पुरुषों के एकाधिकार माना जाता था। खेल, शिक्षा, साहित्य, चिकित्सा, मनोरंजन, न्याय, मीडिया हो या कारोबार, ऐसा कोई क्षेत्र अछूता नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज न कराई हो। यहां तक कि सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा में भी वे पीछे नहीं हैं।घर के मोर्चे पर मां, बहन, बेटी व पत्नी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को संभालने के साथ महिलाएं नौकरी अथवा कारोबार कर खुद के पैरों पर खड़ी हैं और घर – परिवार का खर्च भी उठा रही हैं। आत्मनिर्भरता ने उन्हें अपनी रुचियों को परवान चढ़ाने की भी सहूलियत प्रदान की है। शहर की एक ऐसी ही बहुविध प्रतिभा की धनी महिला हैं कीर्ति सिंह गौड़। शिक्षा, पत्रकारिता के साथ कीर्ति ने साहित्य के क्षेत्र में भी अपना परचम देश, प्रदेश में लहराया है। बीते वर्ष ही उनके एक कविता संग्रह का भी प्रकाशन हुआ था।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एंकर व जनसंचार संस्थानों में शिक्षिका के बतौर दी सेवाएं।
मूलतः शिवपुरी में जन्मी कीर्ति ने जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, जागरण इंस्टीट्यूट नोएडा और डीएवीवी इंदौर से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। एंकरिंग में ज्यादा रुचि रखने वाली कीर्ति के गरिमामय व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और भाषा पर अच्छी पकड़ ने उन्हें जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक मुकाम दिला दिया। आईबीएन 7 सहित कई चैनलों में बतौर एंकर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने वाली कीर्ति 2007 में शादी के बाद इंदौर आ गई और फिर यहीं की होकर रह गई। यहां एसआर टाइम, डिजियाना सहित कई न्यूज चैनलों में उन्होंने एंकर के रूप में अपनी सेवाएं दी। इसके अलावा पत्रकारिता संस्थानों में शिक्षिका के बतौर पत्रकारों की नई पौध को सिंचित करने, उन्हें एंकरिंग, रिपोर्टिंग के गुर सिखाने का काम भी वे कुशलता से करती रहीं। लगभग 17 साल तक मीडिया क्षेत्र से उनका जुड़ाव बना रहा।
लेखिका और कवयित्री के रूप में भी बनाई अपनी पहचान।
पत्रकारिता के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने के बाद कोरोना काल में उनका झुकाव साहित्य की ओर हुआ। शौकिया तौर पर तो वे कविताएं लिखती हीं थीं पर कोरोना काल ने उन्हें उनकी साहित्यिक प्रतिभा को निखारने का अवसर प्रदान किया। कीर्ति ने लिखना शुरू किया तो जल्द ही इतनी काव्य रचनाएं संग्रहित हो गई की उन्हें पुस्तक रूप में ढाला जा सकें। पति, परिवार का सहयोग मिला और कीर्ति का पहला कविता संग्रह सच कहूँ ‘ये कलम की सोहबत है’ प्रकाशित होकर बीते वर्ष 16 मार्च 2024 को उसका लोकार्पण हुआ। वरिष्ठ कवि, साहित्यकार सत्यनारायण सत्तन और साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कीर्ति की पुस्तक का लोकार्पण करते हुए उनकी कविताओं की सराहना की थी। कई बड़े कवि सम्मेलनों और साहित्यिक मंचों से वे काव्यपाठ कर चुकी हैं। ये सिलसिला निरंतर चल रहा है।
कई संस्थाओं ने किया है सम्मानित।
कीर्ति सिंह गौड़ को शिक्षा, पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए विभिन्न संस्थाओं, मीडिया संस्थानों और सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। एक सांध्य दैनिक के मीडिया अवॉर्ड समारोह में केरल के तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें सम्मानित किया था। इसके अलावा इंदौर प्रेस क्लब, यूथ फेडरेशन, फोर्टिस अस्पताल, हिंदी रक्षक मंच सहित कई संस्थाओं ने उन्हें बेस्ट एंकर और लेखिका के रूप में सम्मानित किया है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली कीर्ति की फैन फॉलोइंग भी जबरदस्त है। अपनी रचनाएं वे फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे माध्यमों पर पोस्ट करती रहती हैं।
कीर्ति फिलहाल एंकरिंग पर पीएचडी कर रहीं हैं। जिद्द, जज्बा, जुनून और जज्बातों को साथ लेकर सफलता के नित नए शिखर छूने की तमन्ना रखने वाली कीर्ति का कहना है, “रुकना नहीं, थमना नहीं, चलते जाना है। मंजिलें अभी और भी हैं, आसमां अभी और भी हैं।” शिक्षिका, एंकर, लेखिका, कवयित्री कीर्ति को भावी जीवन की ढेर सारी शुभकामनाएं।