श्रोताओं के दिल को छू गया नाट्य, काव्यमय सफर ‘प्रिय भाई..एक कविता हवी आहे’

  
Last Updated:  May 5, 2025 " 01:39 pm"

इंदौर : साहित्य, संगीत और अभिनय की त्रिवेणी से सजा अलग तरह का कार्यक्रम ‘प्रिय भाई..एक कविता हवी आहे’ शनिवार शाम सानंद के मंच पर डीएवीवी के खंडवा रोड स्थित सभागृह में पेश किया गया। किसी संगीत रूपक की तर्ज पर पेश किए गए इस कार्यक्रम के जरिए महाराष्ट्र के ख्यात साहित्यकार पु. ल. देशपांडे और उनकी पत्नी सुनीता देशपांडे के कविता और साहित्य के प्रति अनुराग, समर्पण और जीवन को लेकर उनके सकारात्मक भाव को ख्यात अभिनेत्री मुक्ता बर्वे और साथी कलाकारों ने पूरी शिद्धत के साथ प्रस्तुत किया। पु. ल. देशपांडे के साहित्य को पढ़ने, समझने वाले दर्शक – श्रोताओं के लिए तो यह कार्यक्रम एक खूबसूरत गुलदस्ते की तरह था। एक कविता की खोज में कविता, नाट्य, किस्सागोई और संगीत के सुमधुर सफर की सैर कराता यह कार्यक्रम वाकई किसी अदभुत प्रयोग से कम नहीं था।

दरअसल, इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि सत्य घटना पर आधारित है। कार्यक्रम की स्क्रिप्ट समीर कुलकर्णी ने लिखी है। 1998 में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में वे एक भित्ति पत्रक पर काम कर रहे थे, उस दौरान उन्हें रविंद्रनाथ टैगोर की उनके ही हस्ताक्षर वाली एक कविता की जरूरत महसूस हुई। उक्त कविता की खोज करते हुए किसी ने बताया कि उक्त कविता ख्यात मराठी साहित्यकार पु. ल. देशपांडे के पास मिल सकती है। इस पर समीर कुलकर्णी ने अपनी एक सहयोगी के जरिए अपनी बात श्रीमती सुनीता देशपांडे तक पहुंचाई और संबंधित कविता उपलब्ध कराने का आग्रह किया। श्रीमती देशपांडे ने उक्त कविता ढूंढकर देने का भरोसा दिया और
पति और साहित्यकार पु. ल. देशपांडे के साथ ढेरों पुस्तकों के संग्रह में रविंद्रनाथ टैगोर की हस्ताक्षर वाली उक्त कविता की खोज शुरू की। कविता की खोज का यह सिलसिला कब देशपांडे दंपत्ति के बीच काव्यमय सफर और संवाद में ढल गया, इसका उन्हें भी पता नहीं चला। लेखक समीर कुलकर्णी ने देशपांडे दंपत्ति के इसी काव्यमय सफर को अपनी स्क्रिप्ट का आधार बनाया और ‘प्रिय भाई..एक कविता हवी आहे’ कार्यक्रम का जन्म हुआ।

मराठी में नाट्य,काव्य अभिवाचन का अनूठा प्रयोग कहे जाने वाले इस कार्यक्रम में सुनीता देशपांडे के मुख्य किरदार को ख्यात अभिनेत्री मुक्ता बर्वे ने जीवंतता प्रदान की। एक ही स्थान पर बैठकर अभिनय और आवाज का तालमेल बिठाते हुए कविताओं को उनके भाव के साथ पेश करने में मुक्ता बर्वे ने कोई कसर नहीं छोड़ी। कार्यक्रम के अन्य कलाकार थे अमित वझे, मानसी वझे, अंजलि मराठे, पार्थ उमराणी और स्वप्निल भावे। निर्देशन अमित वझे का था। मंच सज्जा और प्रकाश व्यवस्था कार्यक्रम के अनुरूप रही।

कार्यक्रम के प्रारंभ में दीप प्रज्ज्वलन उद्योगपति अश्विन पलसीकर और विभूति पलसीकर ने किया। अतिथि व कलाकारों का स्वागत सानंद के अध्यक्ष जयंत भिसे, मानद सचिव संजीव वावीकर और सहसचिव डॉ. अनंत जिंसीवाले ने किया। संचालन की जिम्मेदारी सानंद मित्र अक्षदा साकोरीकर ने निभाई। दर्शक – श्रोताओं के लिए यह कार्यक्रम उनके दिल को छुनेवाला साबित हुआ।

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