इंदौर : मुक्त संवाद के बैनर तले आयोजित 10 वे मराठी साहित्य सम्मेलन का समापन सांसद शंकर लालवानी के मुख्य आतिथ्य में हुआ। प्रीतमलाल दुआ सभागृह में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन मुम्बई से आए अमृत देशमुख ने अपने नवाचार और विचारों से लोगों को अवगत कराया। दरअसल अमृत की देश -विदेश में पहचान बुकलेट गाय के बतौर है। अमृत सीए याने चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उनकी बात पर यकीन करें तो वे एक कंपनी में निवेशक सलाहकार के रूप में काम करते हुए अच्छा पैसा कमा रहे थे पर जी दिली सुकून उन्हें चाहिए था, वो नहीं मिल पा रहा था। आखिर उन्होंने नौकरी छोड़ खुद का स्टार्टअप शुरू किया पर वो कामयाब नहीं हुआ। निराशा के घटाटोप में एक मित्र ने पुस्तकें पढ़ने की सलाह दी। शुरू में बोरियत महसूस हुई पर जल्दी ही उसमें रुचि बढ़ने लगी। देखते ही देखते कई किताबें पढ़ डाली। फिर दिमाग में आया कि जो ज्ञान इन किताबों से मिला है वो दूसरों में भी बांटा जाए ताकि उनमें भी पढ़ने की ललक पैदा हो।
‘बुकलेट गाय’ के नाम से बनाया एप्प।
अमृत बताते हैं कि पुस्तकें पढ़ने के शौक के चलते मित्र, परिचित उन्हें ‘बुकलेट गाय’ कहकर बुलाते थे। लोगों में रीडिंग हैबिट बढ़ाने की कवायद के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि लोग उनके प्रयास की तारीफ तो करते हैं पर पुस्तकें उनकी अलमारियों में पड़ी धूल खा रही हैं। इससे उन्हें कुछ नया करने का विचार सुझा। पहले वे किताब पढ़ने के बाद उसका सारांश लिखकर सोशल मीडिया पर डालने लगे। इससे बड़ी संख्या में लोग उनसे जुड़े पर लोगों से फीडबैक मांगा तो पता चला वे लाइक तो कर देते हैं पर पढ़ते नहीं हैं। इसके बाद उन्होंने ‘buklet guy’ के नाम से अपना एप्प शुरू किया और उसमें अपनी आवाज में किताबों के सारांश का वीडियो बनाकर डालना प्रारम्भ किया। उनके इस प्रयास को खासा रिस्पॉन्स मिला। अभी तक उनके एप्प को व्यूज मिल चुके हैं। ये सिलसिला बढ़ता जा रहा है। इस काम में उन्हें वो सुकून मिला जो लाखों रुपए की नौकरी में नहीं मिल पा रहा था।
अमृत देशमुख बताते हैं कि लोगों में अच्छी पुस्तकें पढ़ने की रुचि बढ़े और टीवी के सामने उनका वक़्त बर्बाद न हो यही उनकी कोशिश है। उन्हें खुशी है कि लोग उनसे जुड़कर इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। अमृत ने उपस्थित लोगों की जिज्ञासा का भी समाधान किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सांसद शंकर लालवानी और बुकलेट गाय अमृत देशमुख का आयोजकों ने स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किये। अंत में साहित्य सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी साहित्य प्रेमियों के प्रति आभार जताया गया।